गाजीपुर: जमानिया स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में हिंदी विभाग ने सौरभ साहित्य परिषद बरुइन के संस्थापक, वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह के कविता संग्रह ‘कीचड़ सने पांव‘ का लोकार्पण और परिचर्चा आयोजित किया. कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ. पूर्व प्राचार्य प्रो अखिलेश कुमार शर्मा ‘शास्त्री‘ ने कविता संग्रह पर प्रकाश डाला. उन्होंने पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किताबी ज्ञान के साथ मानवीय मूल्य और नैतिकता की पढ़ाई भी जरूरी है, जो हमारे संस्कारों से परिष्कृत होती है. सरस्वती पत्रिका के संपादक व वरिष्ठ समालोचक कवि रविनंदन सिंह ने कहा कि कविता निज से परा की तरफ का सफऱ तय करती है. अस्तित्ववादी कविता में कम्पन की कमी रह जाती है. जो कविता युद्ध नहीं छेड़ती, वह भांजवादी कही जाएगी.
सिंह ने कहा कि कवि स्वयंभू होता है वह अपनी रचना से बुराई रुपी डाल को काटकर प्रगतिशील समाज की रचना करता है. जिस प्रकार सांप अमृत रूपी दूध का पान करके विष उगलता है. उसी तरह स्वस्थ समाज की बेहतर संरचना के लिए साहित्यकार बुराई के बीच रहकर अपने बेबाक लेखन से स्वस्थ समाज की बेहतर संरचना करता है. मन्नू सिंह ने कहा कि कविता जीवन की गाथा होती है इस बदलते दौर में हम सबकी जिम्मेदारी है कि कविता बची रहे. उक्त मौके पर प्राचार्य डा श्रीनिवास सिंह, डा मदन गोपाल सिन्हा, कुमार शैलेन्द्र, गजाधर शर्मा गंगेश, कामेश्वर दुबे, उपेंद्र सिंह शिव, उमाशंकर सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह, डा सुरेश राय, डा विजय श्याम पांडेय, जितेंद्र सिंह, बच्चन उपाध्याय, प्रो अरुण कुमार, डा संजय कुमार सिंह, डा राकेश कुमार सिंह, डा ओम प्रकाश लाल श्रीवास्तव, अभिषेक तिवारी, संसार सिंह, मनोज कुमार पांडेय सहित छात्र-छात्राएं मौजूद रहे. अध्यक्षता हीरालाल उपाध्याय और संचालन मिथलेश गहमरी ने किया. आभार साहित्यकार राजेन्द्र सिंह ने ज्ञापित किया.