नई दिल्ली: मीर तकी मीर जन्मत्रिशतवार्षिकी संगोष्ठी और गुलजार द्वारा संवत्सर व्याख्यान दिल्ली में साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण था. मीर तकी मीर की त्रिजन्मशतवार्षिकी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सैयद एहतेशाम हसनैन थे. विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात उर्दू लेखक एवं गीतकार गुलजार तथा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति सैयद शाहिद मेहदी ने शिरकत की. संगोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने की और बीज वक्तव्य प्रख्यात उर्दू विद्वान अहमद महफूज ने प्रस्तुत किया. अन्य सत्रों में शाफ़े किदवई, कौसर मजहरी, हक़्कानी अल कासमी, सरवत खान, शाफ़े किदवई, कौसर मजहरी, हक़्कानी अल कासमी, सरवत खान, शीन काफ निजाम, लीलाधर मंडलोई, जानकी प्रसाद शर्मा ने भाग लिया.
गुलजार ने संवत्सर व्याख्यान में कहा कि सिनेमा थोड़ा-थोड़ा इतिहास होता है और मैं इस इतिहास की परिभाषाएं समय-समय पर बदलने में विश्वास रखता हूं. उन्होंने सिनेमा की व्यापक पहचान और साहित्य से उसके गहरे रिश्तों के कई उदाहरण देते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने शेक्सपियर उठाओ पर्दा कविता और देवदास, दो बीघा जमीन से लेकर नई फिल्मों तक, सिनेमा और साहित्य की गहरी पड़ताल प्रस्तुत की. साहित्योत्सव के तीसरे दिन कुल 32 सत्र आयोजित हुए. इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में साहित्य अकादेमी पुरस्कृत रचनाकारों के साथ लेखक सम्मिलन, आदिवासी कवि सम्मिलन, एलजीबीटीक्यू सम्मिलन हुआ. लेखक सम्मिलन में वर्ष 2023 के लिए पुरस्कृत रचनाकारों ने अपनी सृजन प्रक्रिया को पाठकों से साझा किया. सभी के अनुभव अलग और दिल को छूने वाले थे. लेकिन सामान्यतः सामाजिक भेदभाव ही वह पहली सीढ़ी थी, जिसने सभी को लेखक बनने के लिए प्रेरित किया.