लखनऊ: “उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने वाला प्रदेश है. यहां के साहित्यकारों ने प्राचीन काल से ही एक नई चेतना को जागृत किया है. अमृत काल का साहित्य कैसा हो? इस दृष्टि से यही सही समय है, भारत का अनमोल समय है.” यह बात भारतीय जनता पार्टी के पत्र-पत्रिका प्रकाशन विभाग की ओर से आयोजित ‘साहित्योदय- विकसित भारत 2047: साहित्य का अमृत काल‘ के मुख्य अतिथि एवं पत्र-पत्रिका प्रकाशन प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक डा शिव शक्ति बक्शी ने कही. उन्होंने कहा कि यह अमृत काल केवल भारत के लिए ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का काल है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए पंच प्रणों से ही विकसित भारत का लक्ष्य पूरा होगा. पिछले एक दशक में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं. देश के नागरिकों में एक नया आत्मविश्वास का संचार हुआ है. एक नया भारत बनाने के लिए साहित्यकार एकजुट हों. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि किसी भी देश का साहित्य उस देश के राष्ट्र जीवन का मार्गदर्शी नहीं है. भारतीय साहित्य नीति निर्देशक तत्व बने हुए हैं. मार्गदर्शी साहित्य केवल भारत का है. यहां के नाटक, कला, गीत, संगीत, मनोरंजन के साथ मार्गदर्शन भी करते हैं. अर्थशास्त्र, व्याकरण, योगसूत्र, नाट्यकला भारत में सबसे पहले आए. योग को सारी दुनिया ने स्वीकार किया, यह मोदी के कार्यकाल का सुपरिणाम है.
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर थे. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्योदय विकसित भारत 2047 के माध्यम से भारत अपना खोया गौरव वैश्विक मंच पर हासिल कर रहा है. साहित्य का असर दूरगामी होता है. पत्र-पत्रिका प्रकाशन प्रकोष्ठ के प्रदेश के सह संयोजक राजकुमार ने कहा कि साहित्योदय के माध्यम से अमृतकाल में वैभव सम्पन्न भारत की संकल्पना कर रहे हैं. आज़ादी के बाद समाज को तोड़ने वाले साहित्यों की भी रचना हुई, अब साहित्य सभी को जोड़ने का कार्य मार्ग प्रस्तुत कर रहा है. वर्तमान की आवश्यकता अनुरूप साहित्य की रचना समाज को सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए हो रही है. एकात्म-मानववादी सरकार को लाकर ही साहित्योदय का सकारात्मक प्रयास कर सकते हैं. इस साहित्योदय में विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्यकारों का सम्मान अंगवस्त्रों से किया गया. कार्यक्रम का संचालन अरविंद पांडेय ने किया. इस आयोजन में उत्तर प्रदेश की सभी विधाओं के साहित्यकार उपस्थित थे, जिसमें प्रमुख रूप से पायल सोनी, सत्या सिंह, नवल किशोर, अमित मल्ल, महेंद्र भीष्म, रेनू द्विवेदी, विनय अग्रवाल आदि शामिल थे.