नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा संचालित ‘साहित्योत्सव‘ के दूसरे दिन कमानी सभागार में 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार अर्पण 2023 आयोजित हुआ. पुरस्कार अर्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि आज पुरस्कृत सभी रचनाकार अपनी-अपनी भाषाओं के सेनापति है और वे केवल सृजन नहीं करते बल्कि संरक्षण भी करते हैं. आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो भी खूबसूरती या कहीं इंसानियत नज़र आती है, उसके पीछे साहित्यकारों का ही सृजनात्मक परिश्रम है. आम आदमी के प्रवक्ता साहित्यकार को हमेशा अंगारों पर ही चलना पड़ता है. मुख्य अतिथि ओड़िआ लेखिका प्रतिभा राय थीं. उन्होंने कहा कि साहित्य सभी को जोड़ता है. अन्य की तरह वह विभाजन की बात कभी नहीं करता. उन्होंने भाषा के महत्त्व को संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि भाषा की उन्नति के बिना कोई भी संस्कृति लंबे समय तक रह नहीं सकती.
स्वागत भाषण में साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने कहा कि लेखक ज्ञान की अनमोल संपत्ति हम तक पहुंचाकर हमे समृद्ध करते हैं. इस समारोह में अकादेमी के पुरस्कृत रचनाकारों में प्रणव ज्योति डेका (असमिया), स्वप्नमय चक्रवर्ती (बांग्ला), नन्देश्वर दैमारि (बोडो), विजय वर्मा (डोगरी), नीलम सरन गौड़ (अंग्रेजी), विनोद जोशी (गुजराती), संजीव (हिंदी), लक्ष्मीश तोल्पाडि (कन्नड), मंशूर बानिहाली (कश्मीरी), प्रकाश एस पर्यंकार (कोंकणी), बासुकी नाथ झा (मैथिली), इवी रामकृष्णन (मलयाळम्), सोरोकखाईबम गम्भिनी (मणिपुरी), कृष्णात तुकाराम खोत (मराठी), युद्धवीर राणा (नेपाली), आशुतोष परिड़ा (ओड़िआ), स्वर्णजीत सवी (पंजाबी), गजेसिंह राजपुरोहित (राजस्थानी), अरुण रञ्जन मिश्र (संस्कृत), तारासीन बास्के (संताली), विनोद आसुदानी (सिंधी), एन राजशेखरन (तमिल), तल्लावाला पतंजलि शास्त्री (तेलुगु) और सादिका नवाब सहर (उर्दू) शामिल थे. असमिया साहित्यकार स्वास्थ्य कारणों के चलते नहीं आ सके. उनकी जगह उनके पुत्र ने पुरस्कार ग्रहण किया. पुरस्कार समारोह के समापन पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि इस मंच पर आज भारतीय साहित्य का स्वाभिमान सौंदर्य और गरिमा एक साथ देखे जा सकते हैं. साहित्य अखंड होता है और आने वाले समाज के लिए मनुष्यता की राह बनाता है. पुरस्कार समारोह के बाद रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताओं का कस्तूरी शीर्षक से एक प्रस्तुति हुई, जिसकी परिकल्पना प्रभा खेतान फाउंडेशन के संदीप भुतोड़िया ने की थी और रचना पद्म भूषण और ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित पंडित विश्वमोहन भट्ट ने. नृत्य संरचना शिंजिनी कुलकर्णी ने की और गायन अंकिता जोशी द्वारा प्रस्तुत किया गया.