क्योंझर: “जनजातीय लोग समानता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वाधिक महत्व देते हैं. जनजातीय समाज में ‘मैं’ नहीं, ‘हम’ मूल मंत्र है. जनजातीय समाजों में स्त्री-पुरुष के बीच कोई भेदभाव नहीं है और यही दृष्टिकोण महिला सशक्तीकरण का आधार है, अगर हम सब इन मूल्यों को अपनाएं तो महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया तेज हो सकती है.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ओडिशा के क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘क्योंझर की जनजातियां: जनसमूह, संस्कृति एवं विरासत’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए यह बात कही. इस अवसर पर उन्होंने जनजातीय वेशभूषा, गहने और खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया. राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि क्योंझर एक जनजातीय बहुल जिला है जो प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है. यह मुंडा, कोल्ह, भुइयां, जुआंग, सांती, बथुडी, गोंड, संथाल, ओरंग और कोंध का निवास स्थल है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि चर्चा में शामिल होने वाले शोधकर्ता जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करके ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि अगर कोई समुदाय या समूह देश के विकास की मुख्यधारा से वंचित रह जाता है तो हम इसे समावेशी विकास नहीं बोल सकते हैं, इसलिए जनजातीय समुदायों में ज्यादा पिछड़े लोगों के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए. भारत सरकार ने पीवीटीजी को सशक्त बनाने के लिए पीएम-जनमन की शुरुआत की है. यह पहल आजीविका, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, नल का जल, स्वच्छता एवं पोषण प्रदान करेगी. उन्होंने कहा कि सभी जनजातीय लोगों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी लागू की जा रही हैं.
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जनजातीय कलाओं, संस्कृतियों और शिल्पों को संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने तथा जनजातीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें शिक्षण के साथ-साथ शोध पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे जनजातीय गांवों में जाएं और ग्रामीणों की स्थिति का पता लगाएं. उन्होंने कहा कि जनजातीय समाजों में पारंपरिक ज्ञान का खजाना है. राष्ट्रपति ने कहा कि अनुभवी जनजाति के लोग पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों को पहचानने, उनका उपयोग करने और उनके विशेष औषधीय गुणों को पहचानने की कला जानते हैं. राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा कि वे उन विषयों पर शोध करें और इच्छुक छात्रों को इन विषयों पर शोध करने के लिए प्रेरित करें. उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे मानव समाज के लाभ के लिए पारंपरिक ज्ञान के अनुप्रयोग पर ध्यान दें और उन्हें विलुप्त होने से बचाने की कोशिश करें. राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि छात्रों में अपार संभावनाएं और क्षमता है. वे अपनी शिक्षा एवं कौशल के माध्यम से आजीविका प्राप्त कर सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि शिक्षा के माध्यम से नई तकनीकों से जुड़ें लेकिन अपनी जड़ों से जुड़े रहें.