वाराणसी: “हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है. भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है. भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है. भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है.” यह बात यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्र सभागार में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता और काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं के पुरस्कार वितरण समारोह में कही. संस्कृत के एक श्लोक ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृति-स्तथा‘, जिसका अर्थ है भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत की बड़ी भूमिका है, का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब हमारे देश में संस्कृत ही वैज्ञानिक शोध की भाषा होती थी, और शास्त्रीय बोध की भी भाषा संस्कृत होती थी. अंतरिक्ष विज्ञान में सूर्य सिद्धान्त जैसे ग्रंथ हों, गणित में आर्यभटीय और लीलावती हों, चिकित्सा विज्ञान में चरक और सुश्रुत संहिता हों, या बृहत संहिता जैसे ग्रंथ हों, ये सब संस्कृत में ही लिखे गए थे. इसके साथ ही, साहित्य, संगीत और कलाओं की कितनी विधाएं भी संस्कृत भाषा से ही पैदा हुई हैं. इन्हीं विधाओं से भारत को पहचान मिली है. जिन वेदों का पाठ काशी में होता है, वही वेदपाठ, उसी संस्कृत में हमें कांची में सुनाई देना पड़ता है. ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत‘ के वो शाश्वत स्वर हैं, जिन्होंने हजारों वर्षों से भारत को राष्ट्र के रूप में एक बनाए रखा है.
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि काशी केवल हमारी आस्था का तीर्थ ही नहीं है, ये भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है. एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी. इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी. इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी. काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करते थे. यहां साधना भी होती थी, शास्त्रार्थ भी होते थे. यहां संवाद भी होता था, शोध भी होता था. यहां संस्कृति के स्रोत भी थे, साहित्य-संगीत की सरिताएं भी थीं. इसीलिए आप देखिए कि भारत ने जितने भी नए विचार दिए, नए विज्ञान दिए, उनका संबंध किसी न किसी सांस्कृतिक केंद्र से है. काशी का उदाहरण हमारे सामने है. काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है. काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है, और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला था. पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं. हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज इसके लोग काशी आकर बसे हैं. जिस एक स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है. जहां नए विचार पनपते हैं, वहीं से प्रगति की संभावनाएं पनपती हैं.