प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेला में प्रवेश करते ही पूरा वातावरण अलग दिखता है। पुस्तक मेला का आयोजन हाल नंबर एक से पांच तक में है। सुंदर ढंग से सजे हाल, स्वच्छ गलियारा, किसी भी स्टाल के आगे कोई अतिक्रमण नहीं, हाल के अंदर रास्ते पर किसी प्रकार की प्रचार सामग्री नहीं, गलियारे में पर्चे बांटते कार्यकर्ता नहीं, हर हाल में साफ सुथरे शौचालय, मेले में बाल मंडप, हाल के बाहर फूड कोर्ट इस बार पुस्तक मेला को विश्वस्तरीय स्वरूप दे रहा था। पिछले आयोजनों से अलग और बदला बदला सा स्वरूप। अंग्रेजी के प्रकाशकों वाले हाल में इस बात पर चर्चा हो रही थी कि अब नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला फ्रैंकफर्ट बुक फेयर, जर्मनी को टक्कर दे रहा है। हिंदी के प्रकाशक दो अलग अलग हाल में हैं। हाल संख्या दो और तीन के बीच एक कोने में गुजरात के अहमदाबाद से नवरंग प्रिंटर्स के स्टाल पर हाथ में कोदंड लिए प्रभु श्रीराम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छोटी छोटी गत्ते की प्रतिमा लगी थी। पास जाने पर पता चला कि वो पुस्तकें हैं जिनको इस स्वरूप में प्रकाशित किया गया है।
श्रीराम की प्रतिमानुमा पुस्तक में अयोध्यानगरी का वैभवशाली इतिहास, हनुमानगढ़ी का महत्व, 2019 में श्रीरामजन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश और उसका विश्लेषण, सीता रसोई, लक्षम्ण घाट से लेकर राम राज्य पर टिप्पणियां हैं। इसी तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली पुस्तक में उनकी जीवन गाथा और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियां प्रकाशित हैं। मोदी का बाल्यकाल,उनकी माताजी और सोमाभाई के बारे में जानकारियां हैं। 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी ने गूगल प्लस पर एक कार्यक्रम किया था। पुस्तक बताती है कि उस समय कार्यक्रम से इतने लोग जुड़ गए थे कि गूगल प्लस क्रैश हो गया था। नास्त्रेदमस की भविष्यावाणी को भी रोचक तरीके से पेश किया गया है। इन दोनों पुस्तकों के लेखक अपूर्व शाह हैं। नवरंग प्रिटंर्स का स्टाल संभाल रहे ललन प्रसाद सिन्हा ने बताया कि पुस्तकों को इस तरह का स्वरूप देने का उद्देश्य पाठकों को पुस्तकों की तरफ आकर्षित करना है। हिंदी के लगभग सभी प्रकाशकों के स्टाल पर प्रभु श्रीराम से जुड़ी पुस्तकें दिखीं। हाल नंबर एक में वाणी प्रकाशन के स्टाल में घुसते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी पुस्तक दिखी। वाणी प्रकाशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके प्रकाशन के लोगो में ही लिखा है, सदा समय के साथ। जो पाठकों को पसंद आती है हम उस तरह की पुस्तकें ही प्रकाशित करते हैं।