हैदराबाद: “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में अथक प्रयास किया है और राष्ट्र वास्तव में इसके लिए उनकी प्रशंसा करता है. उन्होंने हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा में मातृभाषा की भूमिका पर भी जोर दिया.” यह बात पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने हैदराबाद में संगीत नाटक अकादमी के क्षेत्रीय केंद्र ‘दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र’ का शुभारंभ करते हुए कही. इस केंद्र को दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र के नाम से जाना जाएगा. इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी भी उपस्थित थे. नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारी मातृभाषा को और अधिक बढ़ावा दे रहे हैं और उसे संरक्षित कर रहे हैं. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार ने हमारी विरासत के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और सुरक्षा के लिए अथक प्रयास किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोग से तेलुगु राज्य की हमारी मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत दोनों को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला.
रेड्डी ने यह भी कहा कि चाहे वह रामप्पा का मामला हो जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया या हनमकोंडा के हजार स्तंभ वाले मंदिर में कल्याण मंडपम का जीर्णोद्धार हो या अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का क्षेत्र हो, सरकार ने सभी को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. याद रहे कि इस केंद्र के उद्घाटन के अलावा घंटासाला के शताब्दी समारोह के तहत भारत कला मंडपम सभागार की आधारशिला भी रखी गई. इस कार्यक्रम में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के विभिन्न अधिकारियों के अलावा पद्म भूषण पुरस्कार विजेता पी सुशीला भी उपस्थित थीं. कार्यक्रम के दौरान तेलुगु राज्य के 2024 के पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित किया गया. इसमें बुर्रा वीणा की परंपरा को जारी रखने और संरक्षित करने के लिए दसारी कोंडप्पा, भगवद गीता का बंजारा भाषा में अनुवाद करने के लिए केथवथ सोमलाल, नृत्य बैले के एक रूप चिंदु यक्षगानम के लिए गद्दाम सामिया, हरिकथा में योगदान के लिए उमा माहेश्वरी और तेलंगाना के विभिन्न मंदिरों में मूर्तिकला और कला में योगदान के लिए वेलु आनंदाचार्य शामिल हैं.