जयपुर: शिवानी सिब्बल के पहले उपन्यास ‘इक्वेशंस’ के हिंदी संस्करण ‘सियासत’ का लोकार्पण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लेखिका शिवानी सिब्बल, वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग, अनुवादक प्रभात रंजन, राजकमल प्रकाशन समूह के सम्पादकीय निदेशक सत्यानन्द निरुपम और सूत्रधार मीता कपूर की उपस्थिति में हुआ. इस मौके पर मीता कपूर ने कहा कि जब मैंने अनुवादक प्रभात रंजन से पूछा कि इस किताब के अनुवाद का ख़याल आपके मन में कैसे आया तो उन्होंने कहा कि जैसे ही मैंने इसे पढ़ना शुरू किया, मुझे लगा जैसे यह किताब अनुवाद की प्रतीक्षा कर रही है. मृदुला गर्ग ने कहा कि यह शिवानी के लिए एक मुबारक दिन है. जब किसी की पहली किताब मुकम्मल होती है तो वह उसके लिए मुबारक दिन होता है. फिर जब पहली किताब छप कर आती है तो भी मुबारक दिन होता है. और जब उसका अनुवाद होता है तो वह भी मुबारक दिन होता है. यही बात मेरी पहली किताब के पूरा होने पर कृष्णा सोबती ने मुझे कही थी.
प्रभात रंजन ने कहा कि कहानी के केंद्र में लुटियंस दिल्ली है. कहानी का नायक दिल्ली विश्वविद्यालय के इवनिंग कालेज में हिंदी आनर्स का छात्र है. यही पात्र नायक के तौर पर उभर कर सामने आता है. यह किताब लुटियंस दिल्ली के बदलाव की कहानी भी बयान करती है. ‘सियासत’ की लेखिका शिवानी सिब्बल ने कहा कि यह उपन्यास दो अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों की कहानी है जो कुछ हासिल करना चाहते हैं. दोनों की चुनौतियां अलग हैं, दोनों की बाधाएं अलग हैं. मैं दिल्ली में पली-बढ़ी हूं. पहले की दिल्ली से आज की दिल्ली बिल्कुल अलग है. उसमें बहुत बदलाव हो चुका है. मैं उस बदलाव को क़ैद करना चाहती थी. इस बात ने भी मुझे इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित किया. मैंने लिखना बहुत देर से शुरू किया है. इस वजह से अपने अनुभव को जो अबतक मेरे लेखन में छूट गया था, उसे भी मैंने इस किताब के सहारे कहने का प्रयास किया है. सत्यानन्द निरुपम ने कहा कि यह किताब हिंदी पट्टी की सियासत के बारे है. ये न सिर्फ़ इसके अतीत को सामने ला रही है, बल्कि यह भविष्य की भी झलक दिखलाती है. यह बदलती हुई सामाजिक संरचना की एक खूबसूरत कहानी है.