नई दिल्ली: “समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाने वाले जागरूक लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है”, यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कही. उन्होंने विद्यार्थियों से गहन प्रश्न पूछने और भारत विरोधी कहानियों को बेअसर करने का आग्रह किया और कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कभी जांच में शामिल होने और इसे नष्ट करने में संलग्न होने के लिए सही जगह, इसका प्रमुख केंद्र था. ऐसे झूठे आख्यान जो भारत और विदेशों में हमारे संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, बदनाम करने और अपमानित करने की कोशिश करने वाले लोगों द्वारा फैलाए गए थे. पर आज विद्यार्थी ऐसे समय में बड़ी दुनिया में कदम रख रहे हैं, जहां देश में संपूर्ण शासन, सकारात्मक नीतियां और एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जो विश्व स्तर पर सम्मानित और रीढ़ की हड्डी में मजबूत है. विद्यार्थियों के पास एक ऐसी सक्षम प्रणाली होगी जो उन्हें प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करने, महत्वाकांक्षाओं और सपनों को साकार करने की अनुमति देगी. उन्होंने ऐसे परिदृश्य की उपस्थिति पर प्रकाश डाला जहां किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाता है.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस बात पर बल दिया कि भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून का सम्मान लागू किया जाता है. समावेशी विकास के लिए सरकार की पहलों को ध्यान में रखते हुए धनखड़ ने कहा कि समाज तभी बदलेगा जब आप देश के अंतिम व्यक्ति की देखभाल करेंगे. उपराष्ट्रपति ने 22 जनवरी को अयोध्या में ‘राम लला’ के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए, देश में उत्सव के वातावरण की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि 500 वर्षों का दर्द प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हो गया है, उन्होंने कहा कि महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसे कानून की स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ फलीभूत किया गया. उपराष्ट्रपति ने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए भारत के नेतृत्व में हुए शिखर सम्मेलन के परिणामों की सराहना की, जिसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में सम्मिलित करना और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का शुभारंभ शामिल है. भारत की अध्यक्षता पद के आदर्श वाक्य- ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’ को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस आदर्श वाक्य का सार 5000 वर्षों के हमारे सभ्यतागत लोकाचार में अंतर्निहित रहा है. इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डा सुभाष सरकार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कंवल सिब्बल, कुलसचिव प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, संकाय सदस्य, विद्यार्थी और बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.