चेन्नई: “हमारा राष्ट्र और हमारी सभ्यता हमेशा ज्ञान के इर्द-गिर्द केंद्रित रही है. नालंदा और विक्रमशिला जैसे कुछ प्राचीन विश्वविद्यालय प्रसिद्ध हैं. इसी प्रकार कांचीपुरम जैसे स्थानों में महान विश्वविद्यालय होने के संदर्भ हैं. गंगई-कोण्ड-चोलपुरम तथा मदुरै भी शिक्षा के महान केंद्र थे. इन स्थानों पर विश्व भर से विद्यार्थी आते थे.” यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में भारतीदासन विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह की अवधारणा भी बहुत प्राचीन है और हमें अच्छी तरह से पता है. उदाहरणस्वरूप कवियों और बुद्धिजीवियों की प्राचीन तमिल संगम बैठक को लें. संगमों में कविता और साहित्य दूसरों के विश्लेषण के लिए प्रस्तुत किए गए थे. विश्लेषण के बाद व्यापक समाज ने कवि और उनके काम को मान्यता दी. यह वही तर्क है जो आज भी शिक्षा जगत और उच्च शिक्षा में उपयोग मे लाया जाता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी राष्ट्र को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जब हमारे विश्वविद्यालय जीवंत थे, हमारा राष्ट्र और सभ्यता भी जीवंत थी. जब हमारे राष्ट्र पर हमला किया गया, तो हमारी ज्ञान प्रणालियों को तुरंत निशाना बनाया गया. 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय और सर अन्नामलाई चेट्टियार जैसे लोगों ने विश्वविद्यालय प्रारंभ किए. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ये विश्वविद्यालय ज्ञान और राष्ट्रवाद के केंद्र थे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के उत्थान का एक कारक इसके विश्वविद्यालयों का उदय है. महान कवि भारतीदासन ने कहा कि पुदियदोर् उलगम सेय्वोम. यह आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य भी है. इसका अर्थ है कि हम एक बहादुर नया विश्व बनाएं. उन्होंने भारत के आर्थिक विकास में रिकार्ड स्थापित करने, पांचवीं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने और भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा रिकार्ड संख्या में वैश्विक रैंकिंग में अपनी छाप छोड़ने का उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने युवा विद्वानों से शिक्षा के उद्देश्य और समाज द्वारा विद्वानों को देखने के तरीकों के बारे में गहराई से सोचने को कहा. उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को उद्धृत करते हुए बताया कि कैसे शिक्षा हमें सभी जीवों के साथ सद्भाव में रहना सिखाती है. उन्होंने कहा कि पूरे समाज ने विद्यार्थियों को इस स्तर तक लाने में भूमिका निभाई है. उन्होंने एक बेहतर समाज व देश बनाने की प्रक्रिया में वापस योगदान देने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि.एक तरह से, यहां का प्रत्येक स्नातक 2047 तक एक विकसित भारत बनाने में योगदान दे सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के मानविकी के विद्वान भारत की कहानी को अद्वितीय तरीके से प्रदर्शित कर रहे हैं. उन्होंने खिलाड़ियों, संगीतकारों, कलाकारों की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि युवा का अर्थ है ऊर्जा. इसका मतलब है गति, कौशल और पैमाने के साथ काम करने की क्षमता. इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल और भारतीदासन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरएन रवि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, कुलपति डा एम सेल्वम और प्रति-कुलपति आरएस राजकन्नप्पन उपस्थित थे.