लखीसराय: जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में एक कवि गोष्ठी का आयोजन स्थानीय प्रभात चौक स्थित भारती होटल सभागार में हुआ. मोहम्मद सिराज कादरी की अध्यक्षता में आयोजित कवि गोष्ठी का संचालन सचिव देवेंद्र सिंह आजाद ने किया. संगठन मंत्री अरविंद कुमार भारती ने सभी का स्वागत किया. कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश और समाज में व्याप्त कुरीतियों के बारे में चर्चा की और समाज को जागरूक और सचेत किया. प्रोफेसर मनोरंजन कुमार पढ़ा, ‘विचलित हो गया हूं खुद के कारनामे से…‘ ने काफी तालियां बटोरी. राजकुमार की कविता, ‘आज वह दिन 2011 वर्ल्ड कप जीतने का आया…‘ सुनाया तो जीवन पासवान ने पढ़ा, ‘नए भारत को नई साल की बधाई, चांद है आगोश में सूरज की हो अगुवाई…‘ राजेश्वरी प्रसाद सिंह की कविता, ‘हम लाए हैं पहाड़ से नई जिंदगी निकाल के… को भी खूब सराहना मिली.
बलजीत कुमार की कविता, ‘अभी ठंड का महीना है, मुझे ऐसा लग रहा है कि राजनीति का समय है…‘ तो शिवदानी सिंह बच्चन की कविता, ‘धरती पर जब काश फुले तो बुझहो कि वर्षा गेल बुढाय…‘ ने दिल लूट लिया. अरविंद कुमार भारती ने सुनाया, ‘देश के सपूत वीर देश के जवान, दुर्दिन आ रहे हैं हो जाओ सावधान…‘ तो सुमंत पांडेय ने सुनाया, ‘ठंड से ठिठुरते कंबल बेचने वाले से पूछा मैंने कि क्या आपको ठंड नहीं लगती…‘ रोहित कुमार ने पढ़ा, ‘तुम आन हो तुम बान हो, तुम इस वतन की शान हो‘ तो देवेंद्र आजाद की कविता ‘खुद की तदवीर से खुद इंसान तकदीर लिखता है, इंसान हमेशा हमेशा तकलीफ झेलकर ही कुछ सीखता है…‘ पर तालियां बजी. सिराज कादरी ने, ‘बीड़ी सिगरेट के धुएं की बदौलत जाफरानी हो गए, कुछ लोग दौलत की बदौलत खानदानी हो गए…‘ पढ़कर सोचने के लिए बाध्य कर दिया.