पटना: “भारत के प्रथम हृदय-रोग विशेषज्ञ डा श्रीनिवास एक महान चिकित्सक ही नहीं, एक महान साहित्यिक और आध्यात्मिक पुरुष भी थे. उनका व्यक्तित्व ऋषि-तुल्य संत का था. वे कला, साहित्य और संगीत के आग्रही तथा उनके पोषक-उन्नायक थे. इसी तरह बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रहे पं चंद्रशेखर धर मिश्र खड़ी-बोली की प्रथम पीढ़ी के महाकवि थे. इन्हें स्मरण करना तीर्थ के समान पावन है.” यह बात बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती एवं पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही. उन्होंने कहा कि डा श्रीनिवास भारत के पहले चिकित्सक थे, जो इंग्लैंड से ईसीजी मशीन लेकर भारत आए थे हृदय-रोग का उपचार आरंभ किया था.
इस अवसर पर युवा कवि मनोज कुमार सौमित्र के कविता-संग्रह ‘वो मेरी पगली दीवानी थी‘ का विमोचन भी किया गया. इस संग्रह में प्रेम, शृंगार और विरह रस की कविताएं हैं. इस संग्रह की एक नज़्म है, ‘बेदाग मोहब्बत में तोहमत लगाया ना करो, है मोहब्बत अगर तो छुपाया ना करो, सामने मेरी नज़रें झुकाना, फिर बाद में मुस्कुराना, मोहब्बत में जान इतना भी सताया ना करो..‘ कवि का मानना है कि पागल शब्द को लोग नेगेटिव सेंस में लेते हैं, लेकिन उन्होंने संग्रह में उसे सकारात्मक अर्थ में इस्तेमाल किया है. जब हमारे लिए कोई हमारी उम्मीदों से अधिक खरा उतरता है, उसके लिए हम प्रेम से, आह्लादित मन से यह कह देते हैं की अरे वह पागल है. इस अवसर पर सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, अमेरिका से पधारे डा श्रीनिवास के पुत्र डा ताण्डव आइंस्टीन समदर्शी, डा कवीन्द्र प्रसाद सिन्हा, डा नागेंद्र प्रसाद लाल, डा विवेक कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.