चेन्नई: “प्राचीन ‘सिद्ध‘ चिकित्सकों द्वारा एकत्र किए गए ज्ञान को मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आगे ले जाने की जरूरत है.” केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डा मुंजपारा महेंद्रभाई ने ‘प्राचीन ज्ञान और आधुनिक समाधान‘ विषय पर यह बात कही. डा मुंजपारा ने यह भी कहा कि भारत में सिद्ध जैसी सभी पारंपरिक आयुष प्रणालियों का प्रसार करने की आवश्यकता है. आयुष प्रणालियों और विषयों के अध्ययन से कई बीमारियों के प्रभावी उपचार के लिए एक इकोसिस्टम बनाने में मदद मिलेगी. राष्ट्रीय सिद्ध दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आयुष राज्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान को सिद्ध प्रणाली के अंतर्गत शिक्षण के लिए एक शीर्ष संस्थान के रूप में मान्यता दी गई थी, और अब यह प्रशिक्षण अनुसंधान और आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों के विकास में सक्रिय रूप से योगदान देता है. संस्थान बीएसएमएस, एमडी और सिद्ध में पीएचडी सहित शैक्षणिक कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है, और सिद्ध चिकित्सकों को करियर निर्माण के बेहतरीन अवसर भी प्रदान करता है. संस्थान का मुख्य अस्पताल प्रतिदिन 2500 रोगियों को सेवा प्रदान करता है और इसमें किफायती दरों पर 200 बिस्तरों वाला आंतरिक रोगी विभाग भी है.
डा मुंजपारा ने स्वदेशी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी निदेशालय के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि राज्य ने आम जनता के लिए सिद्ध चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार करके 1079 सिद्ध इकाइयां स्थापित की हैं. डा मुंजपारा महेंद्रभाई ने केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि परिषद तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पांडिचेरी और नई दिल्ली में 11 इकाइयों में अपनी गतिविधियों के साथ सक्रिय है. यह विस्तार हाल ही में गोवा और पूर्वोत्तर के राज्यों तक भी पहुंच गया है. इस अवसर पर केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री अन्य गणमान्य व्यक्तियों आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव कविता गर्ग, यूनानी, सिद्ध और सोवा रिग्पा एनसीआईएसएम के अध्यक्ष डा के जगन्नाथन, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक डा मीना कुमारी अपने अधिकारियों और एनआईएस के सहयोगी स्टाफ के साथ उपस्थित थीं.