अहमदाबाद: “हमारे यहां भाषा सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम है, मूल चीज इंटेलेक्चुअल पावर है. अध्यात्म से आयुर्वेद तक, सोशल साइंस से सोलर पावर तक, गणित से लेकर मेटावर्स तक और शून्य से अंतरिक्ष तक, आज पूरे विश्व में हर जगह भारत का दबदबा है.” यह बात केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के अहमदाबाद में श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठानम द्वारा आयोजित पूज्य पुराणी स्वामी स्मृति महोत्सव को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि आज जब हम कहते हैं कि हमारी मेडिकल साइंस की पढ़ाई हमारी 18 भाषाओं में होगी, तब पूरी दुनिया जानना चाहती है कि ये कैसे होगा. उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में हमारे योग और आयुर्वेद को स्वीकृति मिल रही है और हमारे वेदों, उपनिषदों और दर्शन के सभी वैज्ञानिक दृष्टिकोणों को समझने के लिए पूरा विश्व लालायित है. शाह ने कहा कि इस गुरुकुल ने कई सद्प्रवृत्तियों में अपना योगदान दिया है. जब तक व्यक्ति निर्माण अच्छे से नहीं होता, तब तक राष्ट्र निर्माण नहीं हो सकता है और व्यक्ति निर्माण की परंपरा को इस गुरुकुल ने बहुत अच्छे से आत्मसात किया है. एक बच्चा जो यहां आता है, वो देशभक्त और विद्वान नागरिक बनकर समाज में वापस जाता है. उन्होंने कहा कि बच्चों में भारतीय और सनातन संस्कृति और स्वामीनारायण और भक्ति संप्रदाय के सारे संस्कार तो सिंचित होते ही हैं, इसके अलावा राजकोट गुरुकुल से निकला बच्चा राष्ट्रभक्त बनकर ही निकलता है. उन्होंने कहा कि इस गुरुकुल ने बहुत सारे अच्छे और सफल नागरिक ना सिर्फ गुजरात बल्कि पूरे देश को दिए हैं. उन्होंने कहा कि व्यसन-मुक्त जीवन, हरि की उपासना, सद्प्रवृत्ति, जीवन में आलस्य ना आने देना और गौ सेवा से लेकर खेती तक ज़मीन से जुड़े रहने के संस्कारों के साथ-साथ संस्कृत, शास्त्र, संगीत और खेल सहित संपूर्ण शिक्षा का वातावरण यहां प्रदान किया जाता है.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा गुलामी के कालखंड में भक्ति के माध्यम से सनातन से जुड़े रहना, व्यसनमुक्ति, शिक्षा और परिवार को एक रखने की गतिविधियों से स्वामीनारायण संप्रदाय ने कई लोगों के जीवन में दीप जलाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय के अलग-अलग संस्थानों के गुरुकुल अगर गुजरात में काम ना कर रहे होते तो राज्य का सर्वशिक्षा अभियान अधूरा रह जाता. उन्होंने कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय ने दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण को रोकने के लिए गुरुकुल शुरु किए औऱ उनके माध्यम से आदिवासी बच्चों को सनातन धर्म से जोड़ा, उन्हें शब्दों के संस्कार दिए और जीवन में ऊंचाई तक जाने का हौंसला भी दिया. उन्होंने कहा कि यह गुरुकुल राष्ट्रभक्ति, आध्यात्मिकता और आधुनिक शिक्षा का समन्वय है. इस गुरुकुल में संस्कार, सदाचार, नीतिपरायणता, प्रामाणिकता, वेदों का ज्ञान, संस्कृत, विज्ञान औऱ खेलों के साथ दर्शन के अभ्यास की भी व्यवस्था है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस देश की आत्मा को जगाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की कई धरोहरों को जानने के लिए पूरा विश्व लालायित है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे और संतों की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, यह पूरे देश के लिए एक शुभ संकेत है. उन्होंने कहा कि सिर्फ अयोध्या ही नहीं, काशी विश्वनाथ कारिडोर पुनर्निमित हुआ है, उज्जैन में महाकाल लोक बना है, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण हुआ है, सोमनाथ के मंदिर को फिर से एक बार सोने का बनाने की शुरुआत हो चुकी है और गुजरात के पावागढ़ पर सालों बाद फिर से शक्तिपीठ की स्थापना भी होगी, यह शुरुआत एक शुभ संकेत है.