इंदौर: “अटल बिहारी वाजपेयी साहित्य और राजनीति के विलक्षण संगम थे. उनके भाषण और कविताओं से उनकी संवेदनशीलता का परिचय मिलता है. इसी तरह पंडित मदन मोहन मालवीय ऐसे प्रथम और अंतिम व्यक्ति थे, जिन्हें महामना की उपाधि से विभूषित किया गया.” यह बात वामा साहित्य मंच की बैठक में साहित्यकार जया सरकार ने कही. वे भारतीय राजनीति के शिक्षा, साहित्य और संस्कार से जुड़े दो महान हस्ताक्षर और भारत रत्न से सम्मानित विभूतियों पर अपने विचार व्यक्त कर रही थीं. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जब क्रिसमस मना रही है तब वामा सखियों का बौद्धिक समर्पण महामना और अटल जी के प्रति एक पूरे आयोजन में व्यस्त है. उन्होंने बताया कि कैसे पुणे में वे वामा साहित्य मंच की शाखा संचालित कर रही हैं. इस अवसर पर वामा साहित्य मंच की अन्य सदस्यों ने भी दोनों नामचीन शख्सियतों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की और उनकी रचनाओं और संस्मरण का पाठ किया. रुपाली पाटनी ने ‘अटल जी की कविताओं में नजर आता उनका व्यक्तित्व‘ विषय पर विचार रखे, तो स्मृति आदित्य ने ‘अटल जी को प्रिय प्रेरक रचना‘ का पाठ किया.
वामा मंच की इस माह की बैठक अटल बिहारी वाजपेयी एवं पं मदन मोहन मालवीय की स्मृति को समर्पित रही. जिसमें अंजना चक्रपाणि मिश्र ने महामना मालवीय पर शब्द पुष्प अर्पित किए, वहीं शारदा मंडलोई ने भी मालवीय के कृतित्व पर प्रकाश डाला, प्रतिभा जोशी ने मालवीय के जीवन-चरित्र का बखान किया तथा अनिता जोशी ने अटल की ओजपूर्ण रचनाओं का वाचन किया. अध्यक्ष इंदु पाराशर ने भी स्वागत भाषण के उपरांत वाजपेयी की कविता पढ़ीं. आशा गर्ग और विनिता चौहान ने भी वाजपेयी की रचना सुनाई, तो निरुपमा त्रिवेदी ने उनके कवि मन पर रचना प्रस्तुत की. प्रतिभा जैन, मंजु मिश्रा ने भावांजलि दी. करुणा प्रजापति, डा गरिमा दुबे एवं प्रीति दुबे ने भी सरस और मार्मिक रचनाएं पढ़ीं. इस आयोजन की संयोजक उपाध्यक्ष वैजयंती दाते थीं. संचालन अनुपमा गुप्ता ने किया तथा सरस्वती वंदना विभा भटोरे ने प्रस्तुत की. आभार सचिव डा शोभा प्रजापति ने माना. स्वागत उपाध्यक्ष ज्योति जैन और निरुपमा नागर ने किया.