भीलवाड़ा: मांडल स्थित बाल विद्या मंदिर विद्यालय में युगीन साहित्य प्रवाह संस्थान के तृतीय अधिवेशन के दौरान साहित्य विमर्श, परिचर्चा और पुस्तक लोकार्पण जैसे कई कार्यक्रम हुए. कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्यकार अक्षयराज सिंह झाला, डा रविकांत सनाढ्य, ओम उज्ज्वल ने दीप प्रज्वलन कर किया. जयप्रकाश भाटिया ने मां सरस्वती की वंदना की. दो सत्रों में जिन प्रमुख विषयों पर वक्तव्य, चर्चा और विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए, उनमें साहित्यकार डा भैरू लाल गर्ग ने ‘संस्कार और संस्कृति के संरक्षण में साहित्य की भूमिका‘, चित्रकार एवं विचारक केजी कदम ने ‘कला और साहित्य का संगम‘, विचारक रामावतार शर्मा ने ‘मानस की वर्तमान में प्रासंगिकता‘, बाल साहित्यकार डा सत्यनारायण ‘सत्य‘ ने ‘पुस्तक प्रकाशनः क्यों और कैसे?’ विषय पर विचार रखे. वरिष्ठ साहित्यकार डा रविकांत सनाढ्य ने ‘लेखन में शुद्धि का महत्त्व‘ विषय पर प्रकाश डाला.
इस कार्यक्रम के संयोजक योगेश दाधीच ने ‘युगीन यात्रा‘, विचारक एवं यायावर लेखक सूर्यप्रकाश पारीक ने ‘यात्रा लेखनः कल, आज और कल‘, हास्य कवि दीपक पारीक ने ‘स्वस्थ रहने में हास्य की भूमिका‘, साहित्यकार अक्षयराज सिंह झाला ने ‘राजस्थानी साहित्य और ग्राम्य जीवन‘, नवीन जीनगर ने ‘फ़िल्म जगत और साहित्य‘ विषय पर व्याख्यान दिया. संरक्षकीय उद्बोधन साहित्यकार गोपाल लाल दाधीच ने दिया. इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ. इनमें सतीश कुमार व्यास ‘आस‘, रामावतार रिणवा, सूर्यप्रकाश पारीक और मनीष भट्ट द्वारा संपादित पुस्तक ‘कलरव‘ और ऋषभ भरावा की पुस्तक ‘सागरमाथा की ओर‘ का भी विमोचन हुआ. अधिवेशन में गज़ल संध्या, काव्य गोष्ठी, परिचर्चा एवं साहित्यिक पुस्तकों की प्रदर्शनी इत्यादि गतिविधियां भी आयोजित हुईं. आभार सतीश कुमार व्यास ‘आस‘ ने व्यक्त किया, तो संचालन युवा विचारक राजवीर सिंह राठौड़, चन्द्रेश टेलर, रोहित विश्नोई ‘सुकुमार‘ ने किया.