रोहतकः “किसी भी विचार को क्रियान्वित करने के लिए साहस और दृढ़ता की आवश्यकता है. हमेशा याद रखें, पैराशूट तभी काम करता है जब वह खुला हो. पैराशूट की तरह महान मस्तिष्क का होना किसी काम का नहीं है यदि आप इसे खोलते नहीं हैं और बाद में आपको उसका परिणाम भुगतना पड़ता है. इसलिए, अपने दिमाग को खुला रखें और असफलता के डर से मुक्त रहें.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है, भारत का हित सर्वोपरि है! हमने जो विरासत पाई है, दुनिया के किसी देश ने ऐसी विरासत नहीं पाई है, हमने जो अप्रत्याशित प्रगति हाल के वर्षों में की है, दुनिया उससे अचंभित है! उन्होंने कहा कि सादगी और सदाचार के प्रतीक स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए. स्वामीजी ने अपना जीवन सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने और वेदों की शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित कर दिया. उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत वर्तमान में काफी हद तक स्वामी जी के सपनों का प्रतिबिंब है.‘ युवा पीढ़ी को डा बीआर अम्बेडकर के शब्दों का पालन करना चाहिए अर्थात ‘आपको पहले भारतीय होना चाहिए, अंत में भारतीय, और कुछ नहीं बल्कि भारतीय.‘
उपराष्ट्रपति ने सवाल उठाया कि भारतीयता में विश्वास और भारत का नागरिक होने का दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे देश की अखंडता को कैसे कमजोर कर सकता है, कैसे इसकी प्रगति में बाधा डाल सकता है, या इसके संवैधानिक संस्थानों को कैसे बदनाम कर सकता है, चाहे वह देश के भीतर हो या इसकी सीमाओं के बाहर. उपराष्ट्रपति ने छात्रों से आग्रह किया कि वे हमेशा अपने शिक्षकों, अपने राष्ट्र का सम्मान करें और अपने माता-पिता का ख्याल रखें. वृद्धाश्रमों की वृद्धि पर दुख व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने टिप्पणी की कि हमारे देश में वृद्धाश्रमों की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हमारे समाज में पारिवारिक बंधनों और रिश्तों को महत्व दिया जाता है. उपराष्ट्रपति ने छात्रों से आह्वान किया कि वे हमेशा अपने माता-पिता और बड़ों का ख्याल रखें, चाहे उनकी स्थिति कुछ भी हो, उनका निवास स्थान कुछ भी हो, चाहे उन्होंने जीवन में कितना भी नाम, प्रसिद्धि और धन कमाया हो. इस अवसर पर डा सुदेश धनखड़, हरियाणा के राज्यपाल व कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय, हरियाणा सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मूल चंद्र शर्मा, लोक सभा सदस्य डा अरविंद कुमार शर्मा, राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगडा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह, जस्टिस सूर्यकांत, कार्यकारिणी परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के प्राचार्य छात्र छात्राएं एवं कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे.