कोलकाता: नीलांबर के वार्षिकोत्सव लिटरेरिया के दूसरे दिन की शुरुआत वसु गंधर्व के गायन से हुई. इस दिन आयोजित युवा संवाद सत्र का विषय था ‘विकलांग श्रद्धा का दौर और हम‘. इस सत्र में पूजा मिश्र, अन्वेषा कबिरत्ना, कालू तमांग और भानु प्रताप पांडेय ने बतौर वक्ता शिरकत की. सत्र का संचालन युवा आलोचक दिनेश राय ने किया. यह सत्र नीलांबर की ओर से की गई युवा प्रतिभाओं को तलाशने व तराशने की साहित्यिक पहल है. इससे पहले हुए सांस्कृतिक सत्र का संचालन प्रियंका सिंह ने किया. इस दिन का मुख्य आकर्षक रहा बालमुकुंद गुप्त की रचना ‘शिवशंभु के चिट्ठे‘ पर केंद्रित संवाद सत्र.
‘अंग्रेजी राज में शिवशंभु के चिट्ठे‘ नामक इस सत्र में आलोचक विनय मिश्र ने कहा कि यह कृति इसलिए भी खास है कि इस रचना को आधुनिक युग का प्रस्थान बिंदु माना जा सकता है. आलोचक वेद रमण के मुताबिक, सामान्य रूप से यह मान्यता है कि भारत भाग्यवादियों की भूमि है. जबकि बालमुकुंद गुप्त ने कहा कि यह कर्मवादियों का देश है. कवि और लेखक उदयन वाजपेयी ने बालमुकुंद गुप्त को हिंदी का पहला बुद्धिजीवी बताया. उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी राजसत्ता और प्रजा के बीच की खाई पाटता है. यही काम बालमुकुन्द गुप्त ने अपने ‘चिट्ठे‘ में किया है. इस सत्र की अध्यक्षता आलोचक और विचारक सुधीश पचौरी ने की. उन्होंने कहा कि व्यंग्य भाषा के भीतर अहिंसा के लिए जगह देता है. व्यंग्य के भीतर उतने ही निशान होते हैं जितना अधिक दमन होता है. संवाद सत्र का संचालन हंस राज ने किया.