नई दिल्ली: “आज का भारत बदला हुआ भारत है. मैंने अपने अपने युवा काल में और 90 के दशक में सांसद काल में, मंत्री काल में, सपना भी नहीं देखा, हिम्मत नहीं कर पता था, सोच नहीं पता था, जो आज जमीनी हकीकत है.” यह कहना है भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के. वे आकाशवाणी के रंग भवन सभागार में डा राजेन्द्र प्रसाद स्मृति व्याख्यान के तहत ‘आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था का उदय‘ विषय पर बोल रहे थे. उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस विषय को समझने के लिए इतिहास के पन्नों को पलट कर थोड़ा पीछे जाने की जरूरत है. हम सभी जानते हैं कि प्राचीन भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, पर मैंने वह काल देखा है, लोकसभा का सदस्य रहते हुए, केंद्र में मंत्री रहते हुए कि सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में अपना सोना विदेशी बैंकों में इसलिए गिरवी रखा कि हम हमारी साख बचा पाएं. यह बात है 90 की दशक की शुरुआत की. हमें जानना पड़ेगा की इस प्रकार के हालात क्यों पैदा हुए वह जो सफर जो हमने अब तक तय कर है, बहुत मुश्किल था अकल्पनीय, था सोच के पार था वह आज जमीनी हकीकत कैसे हुआ.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक दशक पहले भारत की अर्थव्यवस्था अत्यंत चिंताजनक स्थिति में थी. भारत को दुनिया के कमजोर पांच देशों में गिना जाता था. दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारत, जहां विश्व की एक बटा छः आबादी रहती है, वह दुनिया पर एक बोझ था. दुनिया के देश चिंतित थे कि भारत इस कमजोर दशा से कैसे ऊपर आएगा. यह मात्र एक दशक पहले की बात है, और आज का नतीजा यह है कि हमने यूके को और फ्रांस को पीछे छोड़कर 2022 में एक महारत हासिल किया और भारत दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बना. यह सब भारत के 140 करोड़ देशवासियों की कड़ी मेहनत और कुशल नेतृत्व का परिणाम है इस दशक के अंत तक 2030 तक भारत विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा.