रुड़की: विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार ने हिंदी साहित्य में विशेष सेवा, सारस्वत साधना व कलात्मक सोच के लिए साहित्यकार गोपाल नारसन को रामधारी सिंह दिनकर सम्मान से विभूषित किया है. विद्यापीठ के कुलपति रामजन्म मिश्रा व कुलसचिव देवेन्द्रनाथ शाह ने नारसन को यह सम्मान प्रदान किया है. डा गोपाल नारसन की अब तक 21 साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जिनमें ‘नया विकास‘, ‘मीडिया को फांसी दो‘, ‘खामोश हुआ जंगल‘, ‘प्रवास‘, ‘तिनका तिनका संघर्ष,’ ‘पदचिन्ह‘, चैक पोस्ट‘, ‘श्रीमद्भागवत गीता शिव परमात्मा उवाच‘, ‘दादी जानकी‘, ‘आबू तीर्थ महान‘, ‘विविधताओं का शहर रुड़की‘, ‘ईश्वरीय गुलदस्ता‘ आदि शामिल है. नारसन के साहित्यिक योगदान पर भी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘श्रीगोपाल नारसन और उनका साहित्य‘ और ‘श्रीगोपाल नारसन का आध्यात्मिक चिंतन‘ शामिल है.
याद रहे कि गोपाल नारसन वकालत और आध्यात्मिक कार्यो के अलावा साहित्य सृजन से जुड़े हैं. अपनी सामाजिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए उन्हें डा आंबेडकर फेलोशिप सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ का सर्वोच्च ‘भारत गौरव‘ सम्मान, भारत नेपाल साहित्यिक मैत्री सम्मान, मानसश्री सम्मान आदि मिल चुके हैं. नारसन को मिले इस सम्मान पर नेशनल बुक ट्रस्ट के न्यासी डा योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण, नवसृजन साहित्यिक संस्था के संरक्षक सुरेंद्र सैनी, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी, भारतीय ज्योतिष परिषद अध्यक्ष डा चंद्रशेखर शास्त्री, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा महावीर अग्रवाल, शब्द संसार साहित्यिक संस्था की अध्यक्ष डा सविता वर्मा गज़ल, शिक्षा विभाग उत्तराखंड के संयुक्त शिक्षा निदेशक डा आनंद भारद्वाज और श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति डा राजीव त्यागी आदि ने बधाई दी है.