नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता, विचारक प्रो मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि दुनिया इस समय खतरनाक समय से गुजर रही है. आज हमारे आसपास वैश्विक स्तर पर जो घटित हो रहा है उसको खुली आंखों से देखने की जरूरत है. आज हमारे चारों तरफ धमकी भरे युद्ध जैसे हालात हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था की भी भूमिका सीमित होती जा रही है. ऐसे में उन्होंने लोगों से शांति और समृद्धि के लिए भारतीय दर्शन का सहारा लेने की बात कही. जोशी ने मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी चिंता व्यक्त की. जोशी ने कहा कि बंदूकें, राकेट, बमबारी, नरसंहार एक और विश्व युद्ध की चेतावनियां हैं. जोशी ने यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य की वाणी प्रकाशन समूह से प्रकाशित पुस्तक ‘वी एंड द वर्ल्ड अराउंड‘ के लोकार्पण अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कही. जोशी ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने से पहले संघ विचारक गोलवलकरजी की पुस्तक ‘वी आर अवर नेशनहुड डिफाइंड‘ को भी पढ़ना होगा, तभी हम इस पुस्तक को समझ सकेंगे. वाणी प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी ने लेखक मनमोहन वैद्य, मुरली मनोहर जोशी, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज का परिचय दिया और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और पुस्तकें भेंट कीं. उन्होंने कहा कि मेरी माता शिरोमणी देवी लंबे समय तक सेवा भारती से जुड़ी थी. उन्होंने कार्यक्रम के संचालक और वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय का भी स्वागत किया .
पुस्तक के लेखक वैद्य ने कहा कि कभी सोचा न था कि मेरे लेखों की पुस्तक का ऐसा लोकार्पण होगा लेकिन यह हो रहा है, सुखद संयोग है. उन्होंने अपनी पुस्तक की परिकल्पना का श्रेय साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित नमिता गोखले को दिया. उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले नागपुर संघ मुख्यालय के वार्षिक समारोह में प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया गया था. प्रणब मुखर्जी को नागपुर आकर संबोधित करना था लेकिन उस घोषणा का भारत के कथित उदारवादी तबके ने इतना विरोध किया कि उसी घटना ने मुझे हो रहे विरोध पर प्रतिक्रिया स्वरूप पहला लेख लिखने को प्रेरित किया. सभी को पता था कि प्रणब मुखर्जी संघ ज्वाइन करने नहीं आ रहे हैं बल्कि संबोधन के लिए आ रहे हैं. यहीं से मेरा लेख लिखना शुरू हुआ. वैद्य ने कहा कि भारत की जीवन पद्धति ‘वसुधैव कुटुंबकम‘ की है यही भारत की अनेकता में एकता है. संघ को समझने के लिए भारत को समझना जरूरी है. वैद्य ने विस्तार से पुस्तक में शामिल लेखों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि विचार की दृष्टि से भारत किसी भी देश की तुलना में बहुत ही समृद्ध है. भारत का आचार विचार, दर्शन और खान-पान, संस्कृति, धर्म सभी कुछ विशिष्ट है सबसे अलग है. इस पुस्तक में सिर्फ लेख ही नहीं हैं बल्कि गहरा दर्शन और सुचिंतित परंपरा भी हैं. स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति पर विस्तार से अपनी बात रखी. कार्यक्रम की शुरुआत में अदिति माहेश्वरी गोयल ने नमिता गोखले व एमडी नलपत के भेजे संदेश का वाचन किया. प्रज्ञा तिवारी ने पुस्तक पर संक्षेप में टिप्पणी की.