किन्नौर: किन्नौर में प्रथम जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव का आयोजन हुआ. उद्घाटन समारोह के मुख्य वक्ता पद्मश्री से सम्मानित विद्यानंद सरैक ने हिमाचल की संस्कृति व कला के बारे में जानकारी प्रदान की. अपने जीवन के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने सिरमौर जिला के सांस्कृतिक इतिहास, हिमाचल के जिलों की संस्कृति और कला से न केवल दर्शकों को अवगत कराया बल्कि स्थानीय जिले में प्रचलित लोक गीतों को स्वरबद्ध करते हुए संपूर्ण हिमाचली संस्कृति को भी प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति पर प्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध संस्कृति का मूल ज्ञान होना अति आवश्यक है. ताकि हम हिमाचल सहित जनजातीय जिलों की समृद्ध प्राचीन संस्कृति को आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित व संवर्धित रख सके. प्रोफेसर विद्या सागर नेगी ने अपने साहित्यिक अनुभव को सांझा किया और जिला किन्नौर के अत्यंत प्राचीन और गूढ़ इतिहास की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि किन्नर कैलाश की गोद में बसा जनजातीय जिला किन्नौर अपने नैसर्गिक सौंदर्य, देव परंपरा, सांस्कृतिक विविधता व अनूठी संस्कृति से भरपूर है. उन्होंने उपस्थित लोगों को जिला किन्नौर की भौगोलिक व सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी.
जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव में प्रदेश व जिला के प्रसिद्ध साहित्यकारों के मध्य कई परिचर्चाएं भी आयोजित हुईं. जिसमें राज्य के ख्यातिनाम साहित्यकारों ने अपने-अपने साहित्य के क्षेत्र से संबंधित विचार रखे. जनजातीय साहित्य पर चर्चा में प्रोफेसर विद्या सागर नेगी, प्रोफेसर डा स्नेह लता नेगी, अजय, तोबदन, देवेंद्र सिंह गोलदार और भगत सिंह किन्नर ने हिस्सा लिया. इस दौरान जनजातीय साहित्य व वाचक परंपरा पर चर्चा हुई. महोत्सव के दौरान ओडिसी नृत्य भी हुआ, तो मेधावी शर्मा ने छात्र-छात्राओं को अध्ययन के महत्त्व के बारे में बताया. उपायुक्त किन्नौर तोरूल रवीश ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का खतक भेंट कर स्वागत किया. महोत्सव के तीनों दिन आर्ट गैलरी शिमला द्वारा प्रदर्शनी व किन्नौर जिला के स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों के स्टाल लगाए गए थे. इस अवसर पर लाहौल स्पीति से साहित्यकार तोबदन, किन्नौर के साहित्यकार भगत सिंह किन्नर, देवेंद्र सिंह गोलदार, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डा स्नेह लता नेगी, कुल्लू महाविद्यालय के प्राध्यापक डा ईशान मार्वल आदि गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.