ग्वालियर: शिक्षा केंद्रों का दौरा हो और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संत, शहीद और मंत्र याद न आएं, ऐसा हो ही नहीं सकता. सिंधिया स्कूल की 125वीं वर्षगांठ के अवसर को उन्होंने ‘आजाद हिंद सरकार‘ की स्थापना दिवस के रूप में तो याद किया ही, इसे ग्वालियर शहर के इतिहास से भी जोड़ दिया. प्रधानमंत्री ने ऋषि ग्वालिपा, संगीतज्ञ तानसेन, महादजी सिंधिया, राजमाता विजयाराजे, अटल बिहारी वाजपेयी और उस्ताद अमजद अली खान को याद किया. उन्होंने कहा कि ग्वालियर की धरती पर हमेशा ही ऐसे लोगों का जन्म हुआ है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं. प्रधानमंत्री ने इसे ‘नारी शक्ति और वीरता‘ की भूमि बताते हुए उल्लेख किया कि इसी भूमि पर महारानी गंगाबाई ने स्वराज हिंद फौज को आवश्यक निधि देने के लिए अपने आभूषण बेच दिए थे. प्रधानमंत्री ने भारत और वाराणसी की संस्कृति के संरक्षण में सिंधिया परिवार के व्यापक योगदान, काशी में बनवाए गए घाटों और बीएचयू में बहुमूल्य योगदान को स्मरण किया.
संस्कृत के ख्यात श्लोक ‘मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मानाम्‘ अर्थात सज्जन व्यक्ति जैसा मन में सोचते हैं, वैसा ही कहते भी हैं और करते भी हैं, का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यही एक कर्तव्य परायण व्यक्तित्व की पहचान होती है. कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति तात्कालिक लाभ के लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए काम करता है. एक पुरानी कहावत भी है. अगर एक साल का सोच रहे हैं तो अनाज बोइए. अगर एक दशक का सोच रहे हैं तो फल वाले पेड़ लगाइए. और अगर एक शताब्दी का सोच रहे हैं तो शिक्षा से जुड़ी संस्थाएं बनाइए. विष्णु-पुराण के इस मंत्र ‘गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे‘ अर्थात देवता भी यही गान करते हैं कि जिसने इस भारत भूमि में जन्म लिया है, वे मनुष्य, देवताओं से भी अधिक सौभाग्यशाली हैं, का जिक्र करते हुए उन्होंने भारत की अभूतपूर्व सफलता और ऊंचाई का भी जिक्र किया और छात्रों को नौ संकल्प भी याद कराए.