मोहाली: चंडीगढ़ की साहित्यिक संस्था ‘मंथन‘ द्वारा एक कविता-गोष्ठी का आयोजन सेक्टर-78 मोहाली में किया गया. गोष्ठी का शुभारंभ हरिंद्र सिन्हा के गीत ‘रहे सदा गुलजार यह महफिल‘ से हुआ. इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार रमेश चंद्रा मौजूद रहे. मंच संचालन हास्य कवि दीपक खेतरपाल ने किया. काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार डा मनजीत शर्मा मीरा ने की. काव्य गोष्ठी की शुरुआत में कवि वीरेंद्र शर्मा ‘वीर‘ ने हिमाचल के दिवंगत कवि सुरेश सेन ‘निशांत‘ की साहित्यिक शख्सियत को बयान करती हुई कविता पढ़ी. वह कविता कुछ यूं थी कि ‘वो जो कवि था, वो लकड़हारा भी था, कलम से नहीं, वो मन से लिखता था‘, सुशील हसरत नरेलवी ने एक गजल पढ़ी, जिसका शेर था‘बिखरा हुआ सामान उठाने में लगा हूं, मैं जि़ंदगी को फिर से सजाने में लगा हूं‘.
कवि गोष्ठी की अगली प्रस्तुति राजन सुदामा की थी. उन्होंने पढ़ा, ‘मुहब्बत का मेरी असर देखते हो, मैं दिखने लगा हूं, जिधर देखते हो,’ तो उर्मिला कौशिक सखी ने पढ़ा, ‘दिल धड़कता था पहले भी.‘ दीपक खेतरपाल ने पढ़ा, ‘कड़वे घूंट जिंदगी के तू पीना सीख ले.‘ मनजीत शर्मा ‘मीरा‘ की कविता थी, ‘छोटे घर की बेटी हूं, बड़े घर में आई हूं‘. रमेश चंद्रा ने पढ़ा, ‘हम थे आशिक उन हवाओं के‘, तो आरके भगत ने ‘न मारो न मारो बेटियां, सौगात होती हैं बेटियां‘ पढ़कर महफिल लूट ली. वीणा ढींगरा ने ‘जय मां अंबे‘ कविता पढ़ी, तो विकास कलसियान ने ‘कहानी नहीं लिखता मैं, किरदार नहीं गढ़ पाता हूं‘ पढ़ा. हर सहाय शर्मा ने ‘मुझे बहुत ऊंचा दूर तक उड़ना है‘, राजेश पंकज ने ‘भूख कल थी भूख है अब, भूल कल भी होगी‘, सर्वेश ने ‘पानी है सामने पर अब वो प्यास नहीं‘ सुनाकर समां बांधा व खूब वाहवाही लूटी. इसके अतिरिक्त गोष्ठी में बालीवुड से फिल्म राइटर एवं निदेशक लक्ष्य खेतरपाल की भी गौरवमयी उपस्थिति रही.