गयाः “प्राचीन काल से ही बिहार प्रतिभाओं को निखारने के लिए जाना जाता रहा है. बिहार की धरती पर चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे महान विद्वानों ने समाज और राज्य व्यवस्था के साथ-साथ गणित एवं विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया. सभी को इस बात पर गर्व है कि विश्व की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बिहार की धरती पर ही फली-फूलीं हैं.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह बात दक्षिण बिहार के गया स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में कही. उन्होंने कहा कि इसी पवित्र भूमि पर भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने शांति, अहिंसा, करुणा और प्रेम का संदेश दिया था, तो महात्मा गांधी ने ‘अहिंसा परमो धर्म‘ के उनके संदेश को नए आयाम दिए. उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भगवान महावीर, भगवान बुद्ध एवं महात्मा गांधी की शिक्षाएं आज और भी अधिक प्रासंगिक हैं तथा हमारे देश की इसी समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने से ही विश्व कल्याण में सहायता मिल सकती है. राष्ट्रपति ने कहा कि युवा छात्र इन समृद्ध परंपराओं के वाहक हैं. वे चुनाव कर सकते हैं और एक बेहतर समाज, देश और दुनिया के सृजन में अपनी भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने छात्रों से अपनी व्यक्तिगत प्रगति के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और परोपकार के मूल्यों को अपने लक्ष्यों में शामिल करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि ऐसे समग्र लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास उनकी शिक्षा को सार्थक सिद्ध करने के साथ ही सफलता के द्वार खोलेंगे.
राष्ट्रपति ने कहा कि आज बिहार के प्रतिभाशाली लोग देश-विदेश में चौथी औद्योगिक क्रांति में अपना योगदान दे रहे हैं तथा इस प्रदेश के उद्यमशील लोगों ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनायी है. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रगति के ऐसे वैश्विक मानक स्थापित करना सभी का लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों से इस परिवर्तनकारी काल में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि कई देश प्रतिभा की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं भारत के प्रतिभाशाली और मेहनती युवा विश्व की कई अर्थव्यवस्थाओं और ज्ञान-विज्ञान की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं. भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है. हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य शीघ्रातिशीघ्र विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारे युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि छात्र अपनी क्षमताओं का समुचित उपयोग कर देश को जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभान्वित कर सकते हैं. जलवायु परिवर्तन के विषय पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनानी होगी तथा इस प्रकार काम से करने होंगे जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग और अधिकतम संरक्षण और संवर्धन हो सके.