नई दिल्ली: “भारत और इंडोनेशिया के बीच कला-संस्कृति के साथ ही संवर्धन के तमाम विषयों को समाहित करने हुए ज्ञान, सूचना और व्यापारिक आदान-प्रदान बेहद जरूरी है. ” यह बात जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘स्वावलंबन‘ के तहत आयोजित एक परिचर्चा और कला कार्यशाला में मिथिला एंजल नेटवर्क के अरविंद झा ने कही. इस परिचर्चा का आयोजन चीनी तथा दक्षिण-एशियाई अध्य्यन केंद्र, एसएलएल एंड सीएस जेएनयू द्वारा इंडोनेशियाई दूतावास, नार्दन रीजनल सेंटर, सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन ऑफ सिस्टम्स और मिथिला एंजल नेटवर्क आईसीसीएसआर के संयुक्त तत्वावधान किया गया था. जेएनयू सम्मेलन केंद्र में आयोजित परिचर्चा का विषय ‘भारत और इंडोनेशिया में सतत विकास लक्ष्यों के साथ कला और शिल्प की सामाजिक उद्यमिता‘ था. इंडोनेशियाई प्रतिनिधि मंडल ने अपने देश में कला और संस्कृति के क्षेत्र में हो रहे कार्यों का सचल चित्र प्रस्तुत किया. झा ने कार्यक्रम की रूपरेखा और जरूरत को साझा किया और आह्वान किया कि आर्थिक रूप से भारतीय दृष्टिकोण और डिजिटलीकरण को जिस प्रकार से भारत में बढ़ावा दिया गया है, वह भी संज्ञान में लिया जाए. इंडोनेशिया और भारत को अपने जनसांख्यिकीय सामर्थ्य को समझकर विकास के नए आयाम गढ़ने हैं.
इंडोनेशिया की भारत में राजूदत इना एच कृष्णमूर्ति ने वीडियो संदेश से शुभकामनाएं भेजीं. भारत और इंडोनेशिया के राष्ट्रगान तथा वेदपाठ के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ा. प्रोफेसर गौतम झा के स्वागत भाषण के बाद इंडोनेशिया से आए प्रतिनिधि मंडल की सी द्विहस्तीरिनी, अदिनिंदीया तथा फितरिया और राष्ट्रीय कलाकारों भारती दयाल, सीमा सिंह, अरविंद झा, प्रोफेसर अदिति नारायणी पासवान, डा संजय कुमार और विवेक अभिनव का पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र तथा मिथिला-मखान के साथ अभिनंदन हुआ. डा संजय कुमार की अध्यक्षता में परिचर्चा की शुरुआत हुई, जिसमें प्रो अदिती नारायणी पासवान और विवेक अभिनव ने कला, संस्कृति, शिक्षा, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. सीमा सिंह ने कार्यशाला में छात्रों को सिखाया. द्वितीय चरण में प्रो राजीव सिजारिया की अध्यक्षता में हुई परिचर्चा में प्रो अरविंद कुमार, प्रो गौतम झा और भारती दयाल उपस्थित रहीं. भारत-इंडोनेशिया की कला-संस्कृति, साझी विरासत तथा वैश्विक स्तर पर कला, शिल्प और सामाजिक उद्यमिता जैसे विषय चर्चा का केंद्र बने. प्रो कौशल कुमार शर्मा के वक्तव्य, प्रो सविता झा और प्रो गौतम झा के धन्यवाद भाषण से कार्यक्रम समाप्त हुआ.