रतलाम: मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने रतलाम के प्रो अजहर हाशमी को अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया है. अकादमी के निदेशक डा विकास दवे ने प्रो हाशमी के आवास पर पहुंच कर शाल-श्रीफल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया. इस अवसर पर उन्हें 1 लाख रुपए की सम्मान राशि भी दी गई. सम्मान की स्वीकारोक्ति में प्रो हाशमी ने कहा कि सम्मान के लिए तो सिर्फ एक लौंग-इलायची भी काफी होती है. परंतु अकादमी ने इस बड़े पुरस्कार के लिए चुना. उन्होंने कहा कि शब्द साधक तो बहुत होते हैं, मैं सिर्फ मामूली सा सिपाही हूं. इस सिपाही का साहित्य के सेनापति विकास दवे ने सम्मान किया, इसके लिए मैं आभारी व्यक्त हूं. हाशमी ने कविता के माध्यम से कहा, ‘नेह का दान दिया है मुझको, स्नेह प्रतिदान दिया है मुझको, मैं इसे भूल नहीं पाऊंगा, ये जो सम्मान दिया है मुझको.‘ अकादमी के निदेशक दवे ने कहा कि मप्र साहित्य अकादमी का स्व निर्मल वर्मा के नाम के इस सम्मान का अधिकारी प्रो हाशमी जैसा ही कोई कलमकार हो सकता है. स्वास्थ्य के कारण प्रो हाशमी भोपाल में आशुतोष राणा और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर की उपस्थिति वाले समारोह में नहीं आ सके, तो अकादमी स्वयं उनके घर पहुंची है. यह अकादमी, निदेशक और मेरे जीवन का सबसे सौभाग्यशाली क्षण है कि मैं प्रो हाशमी के सम्मान को यहां तक ला पाया हूं. मैं निश्चित तौर पर एक पोस्टमैन की भूमिका में हूं, इस भूमिका को कितना निभा पाया पता नहीं. यह तय है कि मैं हाशमी जी की लेखनी को प्रणाम करने का यह अवसर चूकना नहीं चाहता था.
याद रहे कि मप्र शासन की मप्र संस्कृति परिषद के तहत संचालित मप्र साहित्य अकादमी द्वारा दिसंबर 2022 में साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की गई थी. इसमें 2021 के अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार के लिए प्रो अज़हर हाशमी का चयन उनकी कृति ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के‘ के चलते किया गया था. 13 जनवरी, 1950 को राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में जन्मे अजहर हाशमी संत परंपरा के वाहक, भारतीय संस्कृति के अध्येता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर लेखक, साहित्यकार एवं प्रवचनकार हैं. हाशमी की कविताएं दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से प्रसारित होती रही हैं. उनकी रचना ‘राम वाला हिन्दुस्तान चाहिए‘ बहुत लोकप्रिय हुई थी. उनकी कविता ‘बेटियां पावन दुआएं‘ के साथ मप्र शासन ने वर्ष 2011 में ‘बेटी बचाओ अभियान‘ की शुरुआत की थी. ‘मां‘ कविता के लिए वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल तथा सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू द्वारा ‘विशिष्ट काव्य पुरस्कार‘ से सम्मानित हो चुके हैं. प्रो हाशमी को मप्र के राज्यपाल ने भी सम्मानित किया था. प्रो हाशमी की अब तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. इनमें ‘अपना ही गणतंत्र है बंधु‘, ‘सृजन के सह-यात्री‘, ‘मैं भी खाऊँ, तू भी खा‘, ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के‘ और ‘मामला पानी का‘ प्रमुख हैं.