पटना: “हमें अपनी भाषा का प्रयोग करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए. अपनी भाषा में कामकाज होने पर सामान्य जन इसे आसानी से समझ सकते हैं.” यह बात बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आखर महोत्सव-बिहार‘ का उद्घाटन करते हुए कही. राज्यपाल ने कहा कि अपनी भाषा के प्रति सभी को सहज रहना चाहिए और उसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कि देश में अनेक भाषाएं हैं और उनकी विशेषता बनी रहनी चाहिए. किसी क्षेत्र विशेष में ही कुछ दूरी पर भाषा बदल जाती है परन्तु इससे नये शब्दों के प्रयोग के चलते भाषा की समृद्धि ही होती है. राज्यपाल ने कहा कि गोवा विधान सभा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने विधान सभा का कामकाज वहां की भाषा कोंकणी में शुरू कराया तथा कार्यवाही का लाइव टेलीकास्ट होने के चलते आमजन इसे समझने लगे.
राज्यपाल आर्लेकर ने हिंदी समाचार पत्रों में शीर्षक एवं उप शीर्षक में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि घरों में प्रायः समाचार पत्रों के माध्यम से ही भाषा का परिचय होता है. ऐसे में इसका ध्यान रखा जाना आवश्यक है. पुस्तकों को मित्र एवं मार्गदर्शक बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों एवं अभिभावकों में पुस्तक पढ़ने की आदत होनी चाहिए. इसके लिए हमारे घरों में सद्साहित्य की उपलब्धता होनी चाहिए. पाठकों के रहने पर ही साहित्यकार साहित्य का सृजन कर सकेंगे. यह कार्यक्रम अहसास वूमेन के सौजन्य से प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था. कार्यक्रम को पद्मश्री से सम्मानित लेखिका डा उषा किरण खान, लेखक व पत्रकार अनंत विजय ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर रत्नेश्वर सिंह, प्रभा खेतान फाउण्डेशन की कार्यकारी न्यासी अनिंदिता चटर्जी, अन्विता प्रधान, अनुभा आर्या सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार और अन्य गणमान्य उपस्थित थे.