प्रयागराज: साहित्यिक संस्था वैचारिकी की ओर से अल्लापुर में ‘साहित्य में समरसता‘ विषय पर संगोष्ठी हुई. संगोष्ठी में सरस्वती पत्रिका के संपादक रविनंदन सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में साहित्य वैश्विक स्तर पर निरंतर समृद्ध हो रहा है. विश्व के कई देशों में साहित्य पर शोध हो रहे हैं. विदेशी छात्र भारत आकर साहित्य का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने साहित्य की गद्य-पद्य दोनों विधाओं के विविध आयामों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के संयोजक डा रवि मिश्र ने कहा कि साहित्य के माध्यम से हम भूत, वर्तमान और भविष्य को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. उन्होंने कहा कि समाज में साहित्य से घटते सरोकार से अनेक समस्याएं जन्म ले रही हैं. सामाजिक दायरा सिमट रहा है. निजता की भावना बढ़ रही है.
विशिष्ट अतिथि शिवराम उपाध्याय ‘मुकुल मतवाला और तलब जौनपुरी ने विचार व्यक्त किए. कवि विवेक सत्यांशु, उमेश श्रीवास्तव ने साहित्यिक प्रवृत्तियों को रेखांकित किया. कवयित्री सरिता मिश्रा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. अध्यक्षता गीतकार दयाशंकर पांडेय ने किया. संचालन डा प्रदीप चित्रांशी ने किया. केशव सक्सेना, डा अरविंद कुमार मिश्र, डा इंदु प्रकाश मिश्र, डा वीरेन्द्र तिवारी, संजय सक्सेना, रचना सक्सेना, राम कैलाश पाल प्रयागी, अभिषेक केसरवानी ने विचार व्यक्त किए.