पटना: वरिष्ठ साहित्यकार व समालोचक डा रमेश कुंतल मेघ के निधन पर बिहार की माटी से जुड़े लेखकों ने राज्य से उनके लगाव को शिद्दत से याद किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. वरिष्ठ साहित्यकार उषा किरण खान ने डा रमेश कुंतल मेघ को विशिष्ट विद्वान बताया. उनके अनुसार साहित्य के विद्वानों के बीच भी उनकी तारीफ होती थी. साहित्य के सौंदर्यशास्त्र में उनके जैसा कम लोगों ने ही काम किया है. वह आलोचनात्मक और विवेचनात्मक साहित्य के उच्च कोटी साहित्यकार थे. उनके काम के अनुसार उनको और ख्याति मिलनी चाहिए थी. वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कहा कि डा मेघ के निधन की खबर सुनकर उदास हूं. वो जीवन भर लेखन व चिंतन में मार्क्सवाद के प्रति प्रतिबद्ध रहे. उनके सोचने का नजरिया व्यापक था. शुरू में जटिल भाषा लिखते थे, लेकिन रचनाओं की अभिव्यक्ति व विचारों की अनुभूति के कारण उनकी जटिल भाषा पाठकों के लिए बाधक नहीं बनी. उनका लेखन समाज व मनुष्यता के लिए काफी महत्त्वपूर्ण रहा है. डा विनय कुमार ने रमेश कुंतल मेघ को एक अद्भुत साधक की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि वह समीक्षा और आलोचना की रूटीन प्राध्यापकीय दुनिया से बाहर गये और साहित्य के लिए अनिवार्य सैद्धांतिकी में खुद को झोंका. सौंदर्यशास्त्र का मनुष्य की देह भाषा से जुड़ा काम कृति व्यक्तित्वों के लिए कच्चे माल की तरह है.
कुमार ने कहा कि अवकाश प्राप्ति के बाद मेघ ने विश्व भर में बिखरे मिथकों का अध्ययन और संचयन किया. ‘विश्व मिथक सरित्सागर‘ एक भारी-भरकम काम है, न सिर्फ सामग्री के हिसाब से बल्कि पृष्ठ संख्या के हिसाब से भी. यह किताब मिथकों को समझने की एक विश्व दृष्टि देती है. जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष डा नीरज सिंह ने डा रमेश कुंतल से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि उनके निधन से मन बहुत व्यथित है. डा मेघ जनवादी लेखक संघ की स्थापना के पूर्व एक बार एक-दो दिनों के लिए आरा आए थे. महादेवा स्थित शत्रुंजय संगीत विद्यालय के हाल में डा मेघ के सम्मान में एक बड़ी गोष्ठी हुई थी, जिसमें काफी बड़ी संख्या में उनके पूर्व सहकर्मी, छात्र और नगर के साहित्यकार उपस्थित हुए थे. अपने प्रति आरावासियों का प्रेम देखकर वे बहुत ही भावुक हो गए थे और अपने संबोधन के आरंभ में देर तक अपनी नम आंखें पोछते रहे थे. याद रहे कि 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने पंचकूला चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली. 2017 में उन्हें विश्व मिथक सरित्सागर के लिए उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान मिला था. वह जनवादी लेखक के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. मिथक और भारतीय, पश्चिमी सौंदर्यशास्त्र के वह विशेषज्ञ थे. तुलसी आधुनिक वातायन से, मिथक और स्वप्न, अथातो सौंदर्य जिज्ञासा आदि उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं.