राजसमंद: झील महोत्सव समिति राजसमंद के 5 दिवसीय झील महोत्सव का एक दिन कवि सम्मेलन के नाम रहा. झील परिक्रमा के तहत रात्रि विश्राम के दौरान तासोल गांव में ‘एक शाम राजसमंद झील के नाम‘ कवि सम्मेलन में कवियों ने खूब रंग जमाया. आयोजन समिति के सदस्य समाजसेवी गणेश पालीवाल ने बताया कि राजसमंद झील पूजन के बाद निकली झील परिक्रमा का रात्रि विश्राम तासोल में हुआ. जहां वरिष्ठ कवि पंडित सुनील व्यास की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री भावना लोहार ने सरस्वती वन्दना ‘हे स्वर की देवी मां मेरा कंठ मधुर कर दे‘ से किया. काव्य पाठ के प्रारंभ में सभी कवियों का मेवाड़ी परंपरा के अनुसार स्वागत किया गया. सरस्वती वंदना के पश्चात प्रकाश जांगिड़ प्रांश ने ‘न बेवजह बेटी बहू का अपमान कीजिए‘ सुनाकर खूब आनंद बरसाया. कवि गौरव पालीवाल ने अपनी रचना में प्रभु द्वारिकाधीश और राजसमंद झील का सुंदर वर्णन किया. जितेंद्र पालीवाल ने ‘आजादी की जाने कैसी कीमत पाई है, वंदे मातरम गाते भी क्यों लज्जा इनको आई है‘ रचना द्वारा चिंतन पर मजबूर कर दिया. रंजना कुमावत ने राजसमंद के महत्त्व को रेखांकित करते हुए ‘धारा लेकर गोमती की एक समुद्र बना दिया‘ कविता सुनाई. परितोष पालीवाल ने भारत के चंद्रयान की सफलता पर ‘उतर गया है अब तो तिरंगा लहराके चांद पे, हम तो यारों गर्व करेंगे अपने हिंदुस्तान पे‘ सुनाया. युवा कवि कुणाल आचार्य ने अपनी रचना ‘मेरे दिल का टिकट लेकर के तुम एक बार आ जाओ, मैं तुमको वोट दूंगा तुम यहां सरकार बना लेना‘ से श्रृंगार रस बरसाया. नरेंद्र सिंह रावल ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘मूं जियो जतरे राणा जी मैं करी थारी चाकरी, सीख मानें देवो राणा जी मुलाकात आखरी‘ द्वारा महाराणा प्रताप और चेतक के अंतिम संवाद को चित्रित किया.
भावना लोहार ने श्रृंगार रस से ओतप्रोत छंद और अपनी रचना ‘पिता के प्यार का निर्मल मधुर अहसास है बेटी‘ प्रस्तुत की. कानू पंडित ने अपने अनोखे अंदाज में काव्य पाठ करते हुए लोगों को खूब हंसाया और ‘जिंदगी में लाख ऊंची हो भले उड़ान तेरी, परिवार के प्रति तू फ़र्ज मत भूलना. खुद की जवानी तेरी जिंदगी को दे दी प्यारे, ऐसे बूढ़े मां बाप का कर्ज मत भूलना‘ सुनाकर भावुक कर दिया. सतीश आचार्य ने ‘जिनको भारत की जय में भी ध्वंस दिखाई देता हे ऐसे लोगों में रावण और कंस दिखाई देता है‘ और कौन कहता है नेता जी खाते नहीं, ठेकेदारों के जैसे खिलाते नहीं‘ द्वारा भ्रष्टाचार पर करारा व्यंग्य किया. पैरोडीकार सम्पत सुरीला ने अपनी पैरोडियों पर लोगों को झूमने पर मजबूर तो किया ही, एक कारुणिक कविता से भी आंखें नम कीं. हास्य कवि पंडित सुनील व्यास ने अपने चिर-परिचित अंदाज में लोगों को खूब ठहाके लगवाए, तो ‘जा देता हूं तुझे हौंसला पर मैं नहीं छोडूंगा छपरेल वाला घोंसला‘ से सोचने पर मजबूर कर दिया. संचालक सूर्य प्रकाश दीक्षित ने ‘भूख के लिए हाथ से पत्थर भी तुड़वाती है रोटियां‘ सुनाकर दिल जीता. ग्राम पंचायत तासोल के सरपंच भंवर लाल सरगरा ने सभी का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजन गायक सुर लहरी लेहरू दास वैष्णव, युवा ब्रह्म शक्ति के अध्यक्ष योगेश पालीवाल, उप सरपंच वैष्णव, पीपरडा सरपंच सीता देवी, भाजपा नेता हिम्मत कुमावत, नर्बदा शंकर पालीवाल, कोमल सोनी सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.