नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मन की बात की 104वीं कड़ी उनकी अन्य बातों के अलावा उनकी स्वरचित कविता, चंद्रयान की सफलता का उत्साह, सावन, संस्कृत और तेलुगू भाषा की चर्चा के लिए भी याद रखी जाएगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी ऐसा हुआ हो, कि सावन के महीने में, दो-दो बार ‘मन की बात‘ का कार्यक्रम हुआ, लेकिन इस बार ऐसा ही हो रहा है. सावन यानी महाशिव का महीना, उत्सव और उल्लास का महीना. चंद्रयान की सफलता ने उत्सव के इस माहौल को कई गुना बढ़ा दिया है. चंद्रयान को चन्द्रमा पर पहुंचे, तीन दिन से ज्यादा का समय हो रहा है. ये सफलता इतनी बड़ी है कि इसकी जितनी चर्चा की जाए, वो कम है. जब आज आपसे बात कर रहा हूं तो एक पुरानी मेरी कविता की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं…
आसमान में सिर उठाकर
घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प ले
अभी तो सूरज उगा है…
दृढ़ निश्चय के साथ चलकर
हर मुश्किल को पार कर
घोर अंधेरे को मिटाने
अभी तो सूरज उगा है…
प्रधानमंत्री ने काव्यात्मक अंदाज में कहा कि भारत ने और भारत के चंद्रयान ने ये साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं. भारत का मिशन चंद्रयान, नारीशक्ति का भी जीवंत उदाहरण है. आगे उन्होंने कहा कि इस बार मुझे कई पत्र संस्कृत भाषा में मिले हैं. इसकी वजह यह है कि सावन मास की पूर्णिमा तिथि को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है. सर्वेभ्य: विश्व-संस्कृत-दिवसस्य हार्द्य: शुभकामना:. आप सभी को विश्व संस्कृत दिवस की बहुत-बहुत बधाई. हम सब जानते हैं कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है. इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है. संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है. भारत का कितना ही प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है. योग, आयुर्वेद और दर्शन जैसे विषयों पर शोध करने वाले लोग अब ज्यादा से ज्यादा संस्कृत सीख रहे हैं. कई संस्थान भी इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. कई संस्थानों के जिक्र के साथ उन्होंने कहा कि साथियो, अक्सर आपने एक बात ज़रूर अनुभव की होगी, जड़ों से जुड़ने की, हमारी संस्कृति से जुड़ने की, हमारी परम्परा का बहुत बड़ा सशक्त माध्यम होती है- हमारी मातृभाषा. जब हम अपनी मातृभाषा से जुड़ते हैं, तो हम सहज रूप से अपनी संस्कृति से जुड़ जाते हैं. अपने संस्कारों से जुड़ जाते हैं, अपनी परंपरा से जुड़ जाते हैं, अपने चिर पुरातन भव्य वैभव से जुड़ जाते हैं. ऐसे ही भारत की एक और मातृभाषा है, गौरवशाली तेलुगू भाषा. 29 अगस्त तेलुगू दिवस मनाया जायेगा. ‘अन्दरिकी तेलुगू भाषा दिनोत्सव शुभाकांक्षलु.‘ आप सभी को तेलुगू दिवस की बहुत-बहुत बधाई. तेलुगू भाषा के साहित्य और विरासत में भारतीय संस्कृति के कई अनमोल रत्न छिपे हैं. तेलुगू की इस विरासत का लाभ पूरे देश को मिले, इसके लिए कई प्रयास भी किये जा रहे हैं.