प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र में ‘ज्ञान पर्व‘ के चौथे दिन की शुरुआत ‘अच्छी समीक्षा‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला से हुई. इस सत्र में बसंत त्रिपाठी ने बताया कि समीक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए. उन्होंने पुस्तक समीक्षा और समीक्षक की जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला. डा कुमार वीरेंद्र ने कहा कि समीक्षा का काम किसी कृति में नया क्या है, इसकी तलाश भी है. आज समीक्षाएं लिखी कम, लिखवाई ज्यादा जाती हैं. ‘स्त्री का राष्ट्र: साहित्य से समाज‘ विषय पर आधारित परिचर्चा सत्र में अमिता शीरीं ने कहा कि बाजार में ही राष्ट्र का निर्माण हुआ है और उसी में खत्म होगा…राष्ट्र अपने साथ राष्ट्रोन्माद लेकर चलता है. राष्ट्र बहुत उलझाने वाली संकल्पना है जिसमें औरत नहीं फिट बैठती है. डा सुप्रिया पाठक ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में बचपन की एक संस्मरणात्मक कथात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से बताया कि एक गांव की स्त्री राष्ट्र के बारे में क्या सोचती है. प्रो लालसा यादव ने राष्ट्रवाद की अवधारणा पर बात की. उन्होंने कहा कि पुरुष को स्त्री के दुःख से खुद को जोड़कर देखना चाहिए तब कहीं स्त्री का राष्ट्रवाद और पुरुष का राष्ट्रवाद एक होगा. इस सत्र का संचालन दिव्या सिंह ने किया.
तीसरा सत्र ‘संचार की नई प्रवृत्तियां और मीडिया‘ पर परिचर्चा के नाम रहा. जिसमें डा विनय विक्रम सिंह ने बताया कि संवाद किस तरह इंटरनेट पर निर्भर हो चुका है. डा धनंजय ने कहा कि किताबें संचार की दुनिया का सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण हैं. इस सत्र का संचालन सचिन मल्होत्रा ने किया. अगला सत्र ‘इतिहास लेखन की चुनौतियां‘ विषय पर था, जिसमें डा आनंद शंकर सिंह ने बताया कि प्राचीन इतिहास लेखन के समक्ष क्या-क्या चुनौतियां हैं. प्रोफेसर हेरम्ब चतुर्वेदी ने मध्यकालीन इतिहास पर अपने विचार प्रकट करते हुए अरबी और फारसी परंपरा पर प्रकाश डाला. प्रो आलोक ने आधुनिक इतिहास पर बात की और आधुनिक शब्द की परिभाषा को लेकर क्या चुनौतियां हैं, इस पर प्रकाश डाला. पांचवां सत्र ‘वर्तमान समय में कबीर‘ विषय पर केंद्रित रहा. इस सत्र में संत देवेंद्र साहिब, प्रो कुमार वीरेंद्र और डा राम मिलन ने वर्तमान समय में कबीर के उपदेशों की महत्ता को समझाने का प्रयास किया. इस सत्र का संचालन अवनीश ने किया. याद रहे कि ज्ञान पर्व के दौरान एक पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित कई विधाओं की पुस्तकें व छात्रोपयोगी पुस्तकें उपलब्ध हैं.