कोटद्वार: डा पीतांबर दत्त बड़थ्वाल हिमालयन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग एवं साहित्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर वक्ताओं ने बर्त्वाल के जीवन को याद किया. छात्र-छात्राओं ने बर्त्वाल की कविताओं का वाचन किया. महाविद्यालय की संरक्षिका प्रोफेसर जानकी पंवार ने मां शारदे के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. प्राचार्य ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों के साथ छात्रों को उन स्थानीय रचनाकारों के बारे में भी जानना चाहिए, जिनका हिंदी साहित्य में योगदान रहा है. विभाग प्रभारी एवं कार्यक्रम की संयोजक डा शोभा रावत ने हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल के जीवन, रचनाओं एवं मात्र 27 वर्ष की अल्पायु होने पर भी साहित्य में उनके अनमोल योगदान के विषय में छात्र छात्राओं को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि समीक्षकों द्वारा बर्त्वाल को हिंदी साहित्य के कीट्स, हिंदी का कालिदास एवं हिमवंत कवि की उपमा दी गई.
याद रहे कि चमोली जनपद के मालकोटी पट्टी के नागपुर गांव में 20 अगस्त, 1919 को चंद्र कुंवर बर्त्वाल का जन्म हुआ. उनके पिता भूपाल सिंह बर्त्वाल अध्यापक थे. वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. चंद्र कुंवर बर्त्वाल की शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से हुई. उसके बाद 1935 में उन्होंने पौड़ी इंटर कॉलेज से हाई स्कूल किया. उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा ग्रहण की. 1939 में इलाहाबाद से स्नातक करने के पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय में उन्होंने इतिहास विषय से एमए करने के लिए प्रवेश लिया. इस बीच अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और वे अपनी आगे की पढ़ाई छोड़ 1941 में गांव आ गए. 14 सितम्बर, 1947 को महज 27 साल की उम्र में प्रकृति के चितेरे कवि ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. डा सुमन कुकरेती ने छात्र-छात्राओं को बर्त्वाल की रचनाओं से भी अवगत कराया. डा विजयलक्ष्मी ने कार्यक्रम का संचालन किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया.