जयपुर: कहानियां, शब्द और किताबें बच्चों के भविष्य के निर्माण में एक बड़ी और प्रभावी भूमिका निभाती हैं. कारण बच्चों की दुनिया बड़ी निराली होती है. वे रोज सुने या पढ़े गए शब्दों से अपनी कल्पनाओं में नए जगत का निर्माण करते हैं. ऐसे में उनके पास अच्छी और सच्ची किताबें होना बहुत जरूरी है, क्योंकि ये उनके सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं. हालांकि स्कूली बच्चों के बस्तों में ज्ञान बढ़ाने वाली पाठ्य-पुस्तकें तो होती ही हैं, लेकिन उन्हें जरूरत है ऐसी पुस्तकों की जो रोचक, संस्कार निर्माण करने वाली हों और बाल मन के मुताबिक उनकी रचना की गई हो. राजस्थान में अब राजकीय विद्यालय के बच्चे ऐसी पुस्तकें पढ़ सकें, इसके लिए एक खास पहल की गई है. राजस्थान में संचालित पंडित जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी राज्य में राजकीय विद्यालयों के पुस्तकालयों को 20-20 पुस्तकों के सेट नि:शुल्क उपलब्ध करवा रही है. अकादमी ने यह पुस्तकें राजस्थान के बाल साहित्यकारों और लेखकों से लिखवाई हैं, जो कहानी, गीत, नाटक, कविता, संस्मरण विभिन्न विधाओं में सृजन करते हैं.
इस अवसर पर इकराम राजस्थानी ने कहा कि बच्चों में अच्छे संस्कार सृजित करना हमारा नैतिक दायित्व है. अच्छा साहित्य बच्चों तक पहुंचे इस दिशा में पहल करते हुए अकादमी ने लगभग 10 लाख की लागत से पुस्तकें प्रकाशित करवाकर स्कूल प्रतिनिधियों को वितरित की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजस्थान के बच्चों के लिए कार्य करने के लिए पंडित नेहरू के नाम से यह अकादमी गठित की है और अकादमी ने अल्प समय में ही अपना कार्य आरंभ कर बच्चों तक अच्छा साहित्य पहुंचाने की पहल कर दी है. अकादमी का मानना है कि इससे बालकों के ज्ञानवर्धन के साथ ही स्थानीय लेखकों को बढ़ावा मिलेगा. उनकी लिखी पुस्तकों की बिक्री होगी तो उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा, साथ ही उनके सृजन को एक बड़ा पाठक वर्ग मिलेगा. इसी के निमित्त स्थानीय शिक्षा संकुल में अकादमी अध्यक्ष इकराम राजस्थानी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में लगभग 100 राजकीय विद्यालयों से आए हुए प्रतिनिधियों को ये पुस्तकें नि:शुल्क वितरित की गई. जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र हंस, अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा व अन्य गणमान्य इस दौरान उपस्थित रहे.