नई दिल्लीः देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय भाषाओं को समर्थन देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की तारीफ की तो वहां उपस्थित मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने हाथ जोड़कर अभिनंदन किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बच्चे मातृभाषा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पढ़ सकें, इसके लिए वे सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद करते हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब फैसले का ऑपरेटिव पार्ट उसी भाषा में होगा, जो उसकी भाषा है. उन्होंने कहा कि भारतीय गणतंत्र की 73वीं वर्षगांठ पर एक हजार से ज्यादा फैसलों का अनुवाद अपलोड किए जाने से हुई नई शुरुआत, अब काफी आगे बढ़ चुकी है. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुआई और देखरेख में ये काम तेज रफ्तार से हो रहा है. इसी साल जनवरी में गणतंत्र दिवस और अपने स्थापना दिवस को यादगार बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एक हजार से ज्यादा फैसलों का दस भाषाओं में अनुवाद जारी कर एक पहल की थी. अब यह पहल दस हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है.
याद रहे कि इस पहल के तहत हिंदी के अलावा ओड़िया, गुजराती, तमिल, असमी, खासी, गारो, पंजाबी, नेपाली और बांग्ला में भी उन राज्यों से जुड़े मुकदमों के फैसलों का अनुवाद किया जा रहा है. जल्द ही इसका दायरा अन्य और कई भारतीय भाषाओं तक बढ़ाया जाएगा. इसके पीछे सोच यह है कि इससे आम आदमी के लिए सबसे ऊंची अदालत की चौखट तक पहुंचकर इंसाफ मांगना आसान होगा. लोग अपनी मातृभाषा और अपनी लिपि में अपने मुकदमे का फैसला पढ़कर कानूनी प्रक्रिया में शामिल भी हो सकेंगे. सर्वोच्च न्यायालय की ई-कोर्ट्स कमेटी के मुताबिक अनुवाद के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है. फैसलों का सटीक अनुवाद करने के लिए न्यायिक अफसरों की मदद भी ली जा रही है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस ओक इस पूरी व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं. तय है इससे आम लोगों के साथ कानून के छात्र, शोधकर्ता, लेखक, शिक्षक आदि तबके के लोगों को भी फायदा होगा. क्योंकि विधि संस्थानों के ग्रंथागार में संबंधित भाषाओं के फैसलों को आनलाइन डाउनलोड भी किया जा सकेगा.