नोएडा: “मनोज भावुक भोजपुरी के सबसे चमकते सितारों में से एक नाम है. खुशी व गर्व की बात यह है कि यह सितारा हमारे गृह जनपद सिवान, प्रखंड रघुनाथपुर और पड़ोसी गांव कौसड़ का है. भोजपुरी भाषा, साहित्य, सिनेमा, संगीत के प्रचार-प्रसार में वैश्विक स्तर पर हर जगह मनोज की सशक्त उपस्थिति है. भोजपुरी साहित्य व सिनेमा के बीच की कड़ी हैं मनोज भावुक. हाल ही में भोजपुरी साहित्य व सिनेमा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें फिल्मफेयर व फेमिना द्वारा सम्मानित किया गया है. अपने गांव-जवार की जान और पूर्वांचल की आन-बान-शान व भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का अभिनंदन कर नवचेतना समिति गौरवान्वित अनुभव करती है!” उक्त बातें नवचेतना समिति के प्रवक्ता एमके सिंह उर्फ मुन्ना बाबू ने कही. समारोह में संस्था की दिल्ली-एनसीआर इकाई ने अंगवस्त्र, प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृति चिह्न देकर भावुक को सम्मानित किया. कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई. इस अवसर पर ब्रजेश कुमार सिंह, मृत्युंजय कुमार सिंह,अरविंद द्विवेदी, अमित कुमार सिंह और सीता-सदन अयोध्या के महंत किशोरी शरण महाराज आदि वक्ताओं ने मनोज के सफर पर अपना उद्गार व्यक्त करते हुए.
मनोज ने अपनी पढ़ाई गांव के ही टुटही स्कूल में पेड़ के नीचे बोरा बिछाकर की लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर 2003 में अफ्रीका और 2006 में लंदन चले गए नौकरी करने. बतौर इंजीनियर नौकरी करते वहां भोजपुरी की संस्था कायम की. बाद में गुलज़ार और गिरिजा देवी के हाथों अपने भोजपुरी गजल-संग्रह पर भारतीय भाषा परिषद सम्मान मिलने के बाद स्वदेश लौटकर भोजपुरी के लिए समर्पित हो गए. तब से अब तक भोजपुरी टेलीविजन के लिए अनगिनत कार्यक्रम बनाए, सीरियल लिखें, इंटरव्यू किया, गीत लिखे, फिल्मों में अभिनय किया और साहित्यिक-सांस्कृतिक विनिमय हेतु मारीशस, दुबई, नेपाल, यूके आदि कई देशों की यात्राएं की. कई पुस्तकें लिखीं. 1993 में जब वह छात्र थे, तभी अपने गांव कौसड़ की काव्यमय बायोग्राफी लिख ली थी, जिसकी चर्चा उन दिनों गांव-जवार में खूब हुई. ‘तस्वीर जिंदगी के‘ व ‘चलनी में पानी‘ भावुक की चर्चित पुस्तकें हैं. ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार‘ पुस्तक भोजपुरी-मैथिली अकादमी दिल्ली द्वारा प्रकाशनाधीन है. भावुक ने आभार व्यक्त करते हुए ही कहा कि जब अपने लोग पीठ थपथपाते हैं तो शब्द नहीं फूटते. मैं विरोधों में बढ़ा हूं. इसलिए मेरी सांसों में तूफान चलता है. प्यार और समर्थन करने वालों का आभार. विरोध और अवरोध में लगे लोगों का और भी आभार… मैं अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा, रचता रहूंगा. अंधेरे पर उजाला उछालता रहूंगा.