जयपुर: राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘विज्ञान एवं साहित्य: दूरियां नजदीकियां‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. परिष्कार कालेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन वैज्ञानिक और शायर गौहर रजा ने किया. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तरक्की और सद्भावना के जितने भी विचार हैं, वह इन दोनों विधाओं के सामंजस्य की देन हैं. वैज्ञानिक खोजें किसी तरह का भेदभाव नहीं करतीं, इसी तरह साहित्य भी सबको साथ लेकर अपने समय और समाज की बात कहता है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विज्ञान और साहित्य को बांटने की प्रवृत्ति को नकार कर इनकी दूरियों को नजदीकियों में बदलना होगा.
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुआ सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा जीवन सिंह ने कहा कि इतिहास में साहित्य और विज्ञान में कभी भी दूरी नहीं रही. वैज्ञानिक दृष्टि ने ही साहित्य और विज्ञान को विकसित किया है. हमें यह समझना होगा कि अगर आने वाली पीढ़ियां समझदार बनें, तो उनके बीच वैज्ञानिकता की समझ और तार्किकता बढ़ानी होगी. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव प्रमोद गौरी और परिष्कार कालेज के निदेशक डा राघव प्रकाश ने जनमानस में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने की वकालत की. वक्ताओं ने एक मत से कहा कि विज्ञान और साहित्य मानवीय विकास की अविभाज्य कड़ियां हैं, और इन्हें समझे बिना राष्ट्र और समाज का निर्माण मुश्किल है. इस सत्र का संचालन डा अनंत भटनागर ने किया.