नई दिल्ली: प्रेमचंद अपनी हर जयंती पर और भी बड़े रचनाकार के रूप में सामने आते हैं. कम से कम उनकी जयंती पर देश भर में हुए आयोजनों से तो यही बात सामने आती है. हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित जिला पुस्तकालय में मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर उनकी किताबों की प्रदर्शनी भी लगाई गई. पुस्तकालय अध्यक्ष अंकिता यादव ने मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि साहित्य समाज का दर्पण होता है. समाज में व्याप्त कुरीतियों को साहित्य के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न कर बदलाव लाया जा सकता है. हमें महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास एवं कहानियों से प्ररेणा लेनी चाहिए. सेवानिवृत्त एसडीएम हरि सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि आज भी प्रेमचंद के पात्र सजीव होकर पाठकों के दिल में बस जाते हैं. उनके उपन्यास आज भी युवाओं को मानवता व राष्ट्रभक्ति का पाठ सिखाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को झेलते हुए दैनिक जीवन की तमाम दुश्वारियों को अपनी कहानियों में ढाला. उनके शब्दों का अनुसरण हो जाए तो शायद सारी विषमताएं समाप्त हो जाएं. इस मौके पर सहायक स्टाफ शंकर लाल जोशी, इम्तियाज खान सहित पुस्तकालय के पाठक मौजूद थे. उधर बिहार के बक्सर में प्रगतिशील लेखक संघ ने स्थानीय प्लस टू उषा रानी बालिका उच्च विद्यालय डुमरांव में प्रेमचंद जयंती मनाई. समारोह की अध्यक्षता प्रलेस बक्सर की उपाध्यक्ष सह प्राध्यापिका एवं साहित्यकार मीरा सिंह ‘मीरा‘ ने की. समारोह में सैकड़ों बालिकाओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया. प्रेमचंद की जीवनी पर हिंदी शिक्षिका रीना कुमारी ने प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि प्रेमचंद एक कहानीकार ही नहीं थे बल्कि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक आवाज भी थे.
मीरा सिंह ‘मीरा‘ ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य की केंद्रीय चुनौती इस देश के साधारण आदमी के जीवन में आर्थिक गुलामी से मुक्ति है. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद आर्थिक दासता को मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी मानते थे. वह अपनी कलम से मनुष्य की यातनाओं को, समाज के बंधनों और गुलामी पर सदैव लिखते रहे. प्रेमचंद पर आयोजित भाषण में विद्यालय की छात्राओं सबिता, श्रुति, रागिनी, प्रियंका, प्रिया, अंजलि, काजल, पायल इत्यादि ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. राजकीय महाविद्यालय सिरोही के हिंदी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को प्रेम चंद जयंती मनाई गई. संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों की संयुक्त गोष्ठी हुई. कार्यवाहक प्राचार्य डा अजय शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद हिंदी के महत्त्वपूर्ण लेखक है. उनका साहित्य भारतीय समाज एवं समाज की विभिन्न समस्याओं को उजागर करता है. हिंदी विभाग अध्यक्ष डा संध्या दुबे ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज के संदर्भों में उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि उनके समय में था. प्रेमचंद हमारे लिए जितने सशक्त कथाकार है उतने बड़े पत्रकार भी है. उर्दू-हिंदी में वे 1903 से ही पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर लिखते रहे और बाद में उन्होंने हंस और जागरण का संपादन भी किया. डा भगवानाराम बिश्नोई ने प्रेमचंद की कहानियों पर चर्चा कर कहा कि उनकी कहानियां माननीय मूल्यों को, सामाजिक परिवेश को और मनुष्यों की संवेदनशीलता को प्रस्तुत करती है. सहायक आचार्य दिनेश कुमार सोनी ने प्रेमचंद के साहित्य में वर्णित विभिन्न मानवीय मूल्यों के बारे में समझाते हुए कहा कि हम प्रेमचंद के साहित्य को पढ़कर जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते है. प्रेमचंद जयंती का समापन विद्यार्थियों की ओर से प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण व धन्यवाद के साथ हुआ.