नई दिल्लीः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास -भारत ने अपना 67वां स्थापना दिवस मनाया. इस अवसर को यादगार बनाने के लिए न्यास के मुख्यालय में वार्षिक स्थापना दिवस व्याख्यान आयोजित किया गया. साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष प्रो कुमुद शर्मा ने ‘समकालीन दौर में पुस्तकें और अध्ययन की भूमिका” विषय पर व्याख्यान दिया. अपने संबोधन में शर्मा ने प्रकाशकों, पाठकों और लेखकों की आकांक्षाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की भूमिका की सराहना की. उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पर भी प्रकाश डाला जहां ज्ञान को तीसरी आंख माना जाता है, और कैसे किताबें ऐसे दृष्टि प्रदाता के रूप में काम करती हैं, जिससे हमें दुनिया की गहन अंतर्दृष्टि और समझ मिलती है. उन्होंने कहा कि किताबें सांस्कृतिक विरासत के भंडार के रूप में भी काम करती हैं. ये भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए परंपराओं, कहानियों और ऐतिहासिक घटनाओं को संरक्षित करती हैं और ज्ञान और सांस्कृतिक संरक्षण की परस्पर क्रिया के माध्यम से समाज को समृद्ध बनाने के साथ ही हमारे सामूहिक अतीत और भविष्य के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. एनबीटी अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने इस अवसर पर सभी अधिकारियों को बधाई दी और संगठन की सेवा में उनके अटूट समर्पण की सराहना की.
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास -भारत के निदेशक युवराज मलिक ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनबीटी-इंडिया देश को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उपलब्ध कराने में एक बेंचमार्क स्थापित कर रहा है. इस अवसर पर एनबीटी-इंडिया की परंपरा के अनुसार उन्होंने एनबीटी में 25 वर्ष पूरे करने वाले कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए सम्मानित किया गया. 66 वर्षों की अपनी यात्रा में, नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत ने कई प्रभावशाली पहल की हैं, जिन्होंने भारत में पढ़ने, साहित्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है. इसकी खास उपलब्धियों में से एक भारत के पहले निःशुल्क एयरपोर्ट रीडिंग लाउंज की स्थापना है, जो यात्रियों के लिए उनकी यात्रा के दौरान किताबों में डूबने का एक स्वर्ग है. इसके अलावा देश भर में नदी-थीम वाली पुस्तक प्रदर्शनियों ने जल निकायों के सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डाला है और पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया है. नवोन्वेषी बुक्स-ऑन-बोट पहल ने पुस्तकों को जलमार्गों के माध्यम से सीधे लोगों तक पहुंचाकर उन्हें अधिक सुलभ बना दिया. साहित्य आयोजनों के प्रति एनबीटी-इंडिया का रचनात्मक दृष्टिकोण एक अद्वितीय पुस्तक महोत्सव की संकल्पना में स्पष्ट है; जिसमें पुस्तक मेले और साहित्य महोत्सव के तत्वों का सहज मिश्रण, पुस्तक प्रेमियों के लिए एक आकर्षक और समृद्ध अनुभव का निर्माण करता है.