मंडलाः विख्यात चित्रकार और पद्म विभूषण से सम्मानित सैय्यद हैदर रज़ा की बाल भूमि व आराम स्थली मंडला में रज़ा न्यास ने उनकी स्मृति में ‘साहित्य और कला‘ का अनोखा आयोजन किया. रज़ा के जन्मशती वर्ष में हिंदी की पांच पीढ़ियों के कवियों के कविता पाठ ‘समवाय‘ का आरंभ कुछ पुस्तकों के लोकार्पण से हुआ. यह वर्ष रज़ा साहब के जन्मशती के साथ साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य कुमार गंधर्व के भी जन्मशती का वर्ष है. दिन में कला और साहित्य की महफिल सजी, तो शाम की सांस्कृतिक संध्या में शास्त्रीय नृत्य हुए. रज़ा की स्मृति में बड़ी संख्या में लोगों ने चित्रकारी की, तो साहित्यकार व कवि भी पीछे नहीं रहे. छाते पर पेंटिंग का उत्साह बड़े-छोटे सबमें दिखा. उन्होंने पेंटिंग के साथ-साथ मिट्टी की चीजें भी बनाईं. मुख्य आयोजन की पूर्व संध्या पर रानू चंद्रौल ने एकल और समूह कथक नृत्य किया तो आखिरी दिन अन्वेषा महंत ने सत्रिय की नृत्य प्रस्तुति दी. ‘समवाय‘ के कविता पाठ में पार्वती तिर्की, अनुज लुगुन, वाजदा खान, असंगघोष, ध्रुव शुक्ल, पूनम अरोड़ा, नीलेश रघुवंशी, अनुपम सिंह, कृष्ण मोहन झा, सतीश जायसवाल, वियोगिनी ठाकुर, नूर आलम नूर, पंकज चतुर्वेदी, कुमार मंगलम, प्रयाग शुक्ल, अणुशक्ति सिंह, पीयूष दईया, वीरू सोनकर, सोनी पांडेय, पन्ना त्रिवेदी, काफ़िर, बाबुषा कोहली, गीत चतुर्वेदी और अष्टभुजा शुक्ल ने कविता पाठ किया.
‘हिंदी कविता का रज़ा समारोह‘ का आरंभ करते हुए रज़ा न्यास के प्रबंध न्यासी, कवि अशोक वाजपेयी के वक्तव्य से हुआ. उन्होंने कहा कि सैयद हैदर रज़ा को हिंदी-उर्दू कविता में विशेष रुचि थी. वे भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे पहले चित्रकार थे जिन्होंने कविता की पंक्तियों पर 100 से अधिक पेंटिंग बनाई थी. रज़ा ने तुलसी, कबीर से लेकर आधुनिक हिंदी कवियों, गालिब, मीर और फैज जैसे अनेक उर्दू शायरों की 100 से अधिक पंक्तियों पर पेंटिंग बनाई थी. रज़ा भारतीय कलाओं के साथ-साथ साहित्य और अन्य कला माध्यमों में भी गंभीर रुचि लेते थे. वाजपेयी ने कहा कि मंडला चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की बाल भूमि रही है. सात साल पहले वे यहीं सुपुर्दे खाक हुए थे. इसलिए उनकी स्मृति में इस आयोजन का विशेष महत्त्व है. इस अवसर पर संगीत और कला माध्यम की पत्रिका ‘स्वर मुद्रा‘ के कुमार गंधर्व विशेषांक का लोकार्पण हुआ. यह पत्रिका लगभग बारह सौ पन्ने का वृहद अंक है. इस पत्रिका का लोकार्पण हिंदी के कवि प्रयाग शुक्ल और ऋतुराज ने किया. इस अंक का संपादन कवि पीयूष दईया ने किया है. इसी तरह रज़ा न्यास के उपक्रम प्रकाश वृत्ति के तहत प्रकाशित युवा कवि प्रिया वर्मा के कविता संकलन ‘स्वप्न के बाहर पाँव‘ का लोकार्पण कवि प्रिया वर्मा और हिंदी के कवि असंगघोष द्वारा किया गया. ध्यातव्य है कि प्रकाश वृत्ति द्वारा युवा लेखकों के पहले पुस्तक का प्रकाशन किया जाता है और प्रिया वर्मा का संग्रह इस शृंखला में बारहवां है.