शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डॉ ओम प्रकाश कौल की पुस्तक ‘राग प्रकाश‘ का विमोचन किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने डॉ कौल के प्रयासों की सराहना की और उनके अकादमिक भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. लेखक के अनुसार गायन, वादन एवं नृत्य इन तीनों कलाओं के समावेश को संगीतज्ञों ने संगीत कहा है. संगीत एक ललित कला है. जिसे अन्य ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. संगीत मन के भावों को प्रकट करने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है. संगीत कला मुख्य रूप से प्रयोगात्मक कला है. जिसका उद्देश्य मन के भावों को बड़ी सहजता और मधुर ढंग से परिमार्जित कर उसका उसकी अंतरात्मा से साक्षात्कार कराना है. आदिकाल से ही संगीत मनुष्य से जुड़ा रहा है. वैदिक काल तक आते-आते यह मानव जीवन को ईश्वर से मिलाने का सशक्त माध्यम बना, सारे वैदिक मंत्र और ऋचाएं सस्वर उच्चारित होती थी, इसका प्रमाण हमारे चारों वेदों में से एक वेद सामवेद से प्राप्त होता है जिसकी प्रत्येक ऋचा और मंत्र गेय हैं.
लेखक के मुताबिक समय के परिवर्तन के साथ धीरे-धीरे संगीत में भी परिवर्तन होता गया. मार्गी और देसी संगीत के अंतर्गत गायन होने लगा. मार्गी संगीत वह संगीत था जिसका संबंध मोक्ष प्राप्ति से था तथा जो मुख्यतः भक्ति प्रधान होता था, देसी संगीत वह संगीत था जो जन रुचि के अनुकूल गाया जाता था. इसके बाद सामगान प्रचलन में आया तथा सामगान से जातिगान की उत्पत्ति हुई, जातिगान के दस लक्षण कहे गये है. इसके पश्चात जातिगान से राग की उत्पत्ति हुई, राग के भी दस लक्षण माने गए है और नो विभिन्न जातियां मानी गई है. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग का महत्त्वपूर्ण स्थान है. सम्पूर्ण शास्त्रीय संगीत की इमारत इसी राग रूपी नींव पर खड़ी है. प्रायः कई रागों में कुछ स्वर कम प्रयोग होते हैं तथा कुछ में अधिक प्रयोग किये जाते हैं. कुछ स्वर ऐसे भी होते हैं जो राग में पूर्ण रूप से वर्जित होते हैं. यह वर्जित स्वर आरोह तथा अवरोह दोनों में हो सकते हैं. षडज को छोड़कर राग में सभी स्वर वर्जित हो सकते हैं. ‘राग प्रकाश‘ में इन्हीं रागों को संग्रहित करने का प्रयास किया गया है. लेखक डॉ कौल राजकीय महाविद्यालय संजौली शिमला में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत हैं. इन्होंने गज़ल गायकी में भी अपनी पहचान बनाई है. हाल ही में उनके द्वारा रचित संजौली महाविद्यालय का कुलगीत भी काफी सराहा गया.