लेहः लद्दाख पुस्तक महोत्सव के चौथे दिन भी वैचारिक, सांस्कृतिक गतिविधियां जारी रहीं. दिन भर चले सत्रों के दौरान कहानी विधा का जश्न मनाने के साथ ही पत्र-लेखन कला को पुनर्जीवित करने, ज्ञान के संरक्षण में मठों के महत्त्व, बौद्ध धर्म की उत्पत्ति और उनके सांस्कृतिक प्रभाव का पता लगाने और मीडिया की भूमिका पर चर्चा सत्र हुए. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन के सहयोग से आयोजित यह पुस्तक महोत्सव साहित्य, संस्कृति और बौद्धिक जुड़ाव के एक सच्चे उत्सव के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है. चौथे दिन की शुरुआत डॉ जयश्री सेठी के मंत्रमुग्ध कर देने वाले कहानी सत्र से हुई, जिसमें युवा दर्शकों को राजाओं, रानियों और आम लोगों की दुनिया में ले जाया गया. उनकी मनमोहक कहानियां न केवल मनोरंजन करती थीं बल्कि जीवन की बहुमूल्य सीख भी देती थीं. पहेलियों, गीतों और यहां तक कि चॉकलेट ने भी उपस्थित लोगों में उत्साह का एक अतिरिक्त स्पर्श जोड़ा. इसके पश्चात ‘डाक रूम‘ की पत्र लेखन कार्यशाला आयोजित हुई, जिसका उद्देश्य हस्तलिखित पत्रों की लुप्त होती कला को पुनर्जीवित करना था. प्रतिभागियों ने व्यक्तिगत पत्राचार की दुनिया में खुद को डुबो दिया और हार्दिक संचार के महत्त्व के साथ ही इससे बनने वाले भावनात्मक संबंधों की खोज की गई.
‘ज्ञान के संरक्षण में मठों की भूमिका‘ पर गेशे जामयांग ताशी, क्यादत्सल लिंग लाइब्रेरी, निदेशक थिकसे शेस्क्रैप ने एक ज्ञानवर्धक सत्र में भागीदारी की, जिसमें दर्शकों ने शास्त्रों, उनके सार, विविध रूपों और इन कालातीत खजानों की सुरक्षा के लिए नियोजित जटिल तरीकों के बारे में जाना. इस सत्र के दौरान प्रदर्शित दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथों ने लद्दाख की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति सराहना को और गहरा कर दिया. खेनपो कोंचोक थुपस्तान द्वारा प्रस्तुत ‘बौद्ध धर्म: उत्पत्ति और सांस्कृतिक प्रभाव‘ ने बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक उत्पत्ति और सांस्कृतिक प्रभाव का खुलासा किया. उपस्थित लोगों ने उस दर्शन और प्रमुख शाखाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिन्होंने सांस्कृतिक परिदृश्य को गढ़ा है. लद्दाख विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ रिनचेन डोल्मा द्वारा संचालित सत्र ने दुनिया के सबसे प्रभावशाली धर्मों में से एक के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मनीष सेन द्वारा एक विचारोत्तेजक सत्र में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की गई. सतही स्तर की कवरेज से परे जाकर, सेन ने सोशल मीडिया और प्रभावशाली लोगों की अभिन्न भूमिका को स्वीकार करते हुए गहन रिपोर्टिंग के महत्त्व पर जोर दिया. एनसीसीएल की संपादक कंचन वांचू शर्मा ने उभरते मीडिया परिदृश्य और समाज पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए सत्र का संचालन किया. इस दिन के कार्यक्रम का समापन लद्दाखी बैंड दशुग्स के थिरकाने वाले संगीत प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसने माहौल को आनंदमय धुनों से भर दिया.