नई दिल्ली: राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन ‘संस्कृत समुन्मेषः‘ के दूसरे दिन संस्कृत एवं कम्प्यूटर विज्ञान, संस्कृत और स्वास्थ्य विज्ञान, संस्कृत और योग जैसे विषय पर बौद्धिक व्याख्यान हुए. साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति और संस्कृति फाउंडेशन मैसूर के संयुक्त तत्त्वावधान में तिरुपति में आयोजित ‘संस्कृत समुन्मेषः‘ के दूसरे दिन का पहला सत्र ‘संस्कृत और कम्प्यूटर विज्ञान‘ पर था. इस सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध विद्वान और भाषाविद् गिरीश नाथ झा ने की. उन्होंने ‘प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और संस्कृत‘ विषय पर अपना आलेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि एआई की समस्याओं और अतीत से भविष्य तक की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. झा ने तर्कसंगत रूप से एआई में केंद्रीय समस्याओं, भाषा विज्ञान के पहलुओं और ध्वन्यात्मक-स्वर विज्ञान, आकृति विज्ञान, वाक्यविन्यास और शब्दार्थ के विशेष संदर्भ में पाणिनि व्याकरण को प्रस्तुत किया.
पी रामानुजन ने ‘स्पीच सिंथेसिस एंड स्पीच रिकॉग्निशन‘, के रामसुब्रमण्यन ने ‘कृत्रिम अनुभूति‘, पी वेंकटसुब्रमण्यन ने ‘भारतीय क्रिप्टोग्राफिक प्रणाली‘ एवं आरवीएसएस अवधानुलु ने ‘संस्कृत और कृत्रिम बुद्धिमत्ता‘ विषयों पर अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. इस दिन का दूसरा सत्र ‘संस्कृत और स्वास्थ्य विज्ञान‘ पर केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात आयुर्वेदिक विद्वान बी गुरुबसवराज ने की तथा जीजी गंगाधरन, मनोज शंकर नारायण एवं एस वेणुगोपालन ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. अगला सत्र ‘संस्कृत और योग‘ पर था जिसकी अध्यक्षता योगशास्त्र के विशिष्ट विद्वान एचआर नागेंद्र ने की तथा राघवेंद्रराव एम, एचएस वदिराज, के गणपतिभट्ट, मोहन राघवन ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. विशेष वक्तव्य संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव संजुक्ता मुद्गल ने प्रस्तुत किया. इस दिन का मुख्य आकर्षण विद्यालय छात्रों द्वारा कथावाचन था, जिसकी अध्यक्षता संस्कृत लेखक जनार्दन हेगड़े ने की. अंतिम सत्र में रामायण के सुंदरकांड की प्रस्तुति संस्कृत लेखिका विशाखा हरि ने की.