तिरुपति: “संस्कृत ने देश के विभिन्न भाषाओं के साहित्य को बेहद समृद्ध किया है.” यह बात आंध्रप्रदेश के राज्यपाल एस अब्दुल नज़ीर ने साहित्य अकादेमी द्वारा तिरुपति में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन ‘संस्कृत समुन्मेषः‘ के समापन अवसर पर कही. वे सम्मेलन के समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे. नज़ीर ने भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृत के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि संस्कृत में उपलब्ध प्राचीन ज्ञान असीमित है. यह अभी भी प्रासंगिक है और हमें इसका संरक्षण करना चाहिए. याद रहे कि साहित्य अकादेमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार; राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति और संस्कृति फाउंडेशन मैसूर के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में संस्कृत के 60 से ज्यादा लेखक और विद्वानों ने सहभागिता की. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य संस्कृत को घर-घर तक पहुंचाना और संस्कृत के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना था.
तीसरे दिन आयोजित सत्रों में संस्कृत और भारतीय संगीत, संस्कृत और नृत्य‘ तथा संस्कृत नाटकों की प्रस्तुतियां हुईं. संस्कृत एवं भारतीय संगीत सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात संगीत एवं संस्कृत विद्वान टीएस सत्यवती ने की. इस सत्र में राणी नागश्री शैलेश्वरी ने कर्नाटक संगीत, नरसिंहलु वदवटी ने हिदुस्तानी संगीत, राणी सदाशिवमूर्ति ने लोकसंगीत और प्रतीकपट्टनायक ने ओडिसी संगीत पर अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. दूसरे सत्र में संस्कृत और नृत्य विषय पर चर्चा हुई. इस सत्र की अध्यक्षता संगीत नाटक अकादेमी की अध्यक्ष संध्या पुरेचा ने की. इस सत्र में भरतनाट्यम पर यामिनी मुथन्ना, कथक नृत्य पर शलीना सी, कुचिपुडी नृत्य पर यशोदा ठकोरे तथा ओडिसी नृत्य पर कविता द्विवेदी ने संक्षिप्त प्रस्तुतियों के साथ अपने आलेख प्रस्तुत किए. सम्मेलन के अंत में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत भारती के छात्रों द्वारा कर्ण-माधवीयम एवं हृदये रामदर्शनम् संस्कृत नाटकों को प्रस्तुत किया गया.