मुंबई: “हर भाषा अपने आप में विशेष है. किसी भी भाषा को हम रुकावट ना मानें और हर भाषा से जुड़ने तथा उसके माध्यम से उपलब्ध ज्ञान हासिल करने का प्रयास करें, क्योंकि कोई भी भाषा किसी के विकास में कभी रुकावट नहीं बनती. इसलिए हर भाषा के माध्यम से विशिष्ट ज्ञान एवं साहित्यिक संवेदना हासिल कर हम मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकते हैं.” अकोला की जिलाधिकारी नीमा अरोरा ने यह बात महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कही.’मनुष्यता की गरिमा, सामाजिक तारतम्य, जनजीवन के प्रश्न सुलझाती तर्कसंगत, मनोवैज्ञानिक, मनोरम रामचरित मानस’ विषय पर डॉ शीतला प्रसाद दुबे ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि रामचरित मानस में जीवन के आनंद से जुड़े हर रहस्य शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य रामचरित मानस में व्याप्त आदर्शों का पालन करे, तो वह निश्चित ही जीवन में श्रेष्ठ मनुष्य के रूप में अपने सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन करेगा. उन्होंने कहा कि रामचरित मानस जीवन को सात्विक एवं परोपकारी बनाने का मूल संदेश देती है, अत: उसका अनुसरण मानवता का श्रेष्ठ उदाहरण होगा. इस सत्र की प्रस्तावना अधिवक्ता सत्यनारायण जोशी ने रखी. सत्र की अध्यक्षता प्रेमा शुक्ल ने किया.
दूसरा सत्र ‘जाति, प्रांत, भाषा, धर्मवाद जैसी संकीर्णताओं को नकारता मीडिया और साहित्य का चिंतन’ विषय पर था, जिसमें डॉ संजय सिंह, आनंद प्रकाश सिंह तथा किरण अग्रवाल ने अपने विचार रखे. वक्ताओं ने कहा कि आधुनिक तकनीक के कारण हमारे विचारों की अभिव्यक्ति के लिए कई मंच उपलब्ध हैं. हम किसी बहकावे या प्रभाव में आए बगैर संकीर्ण विचारों को ठुकरा कर स्वतंत्र रूप से अपना मत प्रकट कर सकते हैं. ऐसा करना सोशल मीडिया की व्यापक सकारात्मक भूमिका का एवं हमारी वैचारिक स्वतंत्रता का अनुकरणीय उदाहरण होगा. प्रारम्भ में डॉ शीतला प्रसाद दुबे एवं अन्य अतिथियों के हाथों दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. इसके उपरांत अतिथियों को पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया. उद्घाटन सत्र का संचालन प्राध्यापिका शारदा बियाणी ने किया. दूसरे सत्र का संचालन डॉ प्रमोद शुक्ला तथा तीसरे सत्र का संचालन डॉ शैलेंद्र दुबे ने किया. आभार प्रदर्शन श्याम शर्मा ने किया. संगोष्ठी में शामिल अध्यापकों एवं प्राध्यापकों को सहभागिता प्रमाणपत्र दिया गया. राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रारम्भ महाराष्ट्र राज्य गीत से हुआ तथा समापन राष्ट्रगीत के साथ किया गया. इस अवसर पर श्याम पन्नालाल शर्मा, सचिन निंबालकर, निकेश गुप्ता, शौकत अली मीर, प्रबोध देशपांडे और अभिजीत परांजपे भी उपस्थित थे.