शिमलाः अटल बिहारी वाजपेयी राजकीय महाविद्यालय तकीपुर में पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ केएस अत्री ने की. उन्होंने पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बहुआयामी प्रतिभा के धनी पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म जिला कांगड़ा के गांव गुलेर में हुआ था. यह हमारे लिए गौरवमयी बात है. गुलेरी जी ने मात्र 10 वर्ष की आयु संस्कृत में विद्वता हासिल कर ली थी और घर से ही वेद, पुराण, भाषा, साहित्य, ज्योतिष, दर्शन, इतिहास का गहन अध्ययन किया. वे भाषा वैज्ञानिक भी थे. गुलेरी जी ने कई विषयों पर महत्त्वपूर्ण ग्रंथ लिखे. जिनमें 90 से अधिक निबंध भी हैं. गुलेरी जी के बहुआयामी लेखन प्ररिप्रेक्ष्य से बहुत कुछ सीखना चाहिए. इस अवसर पर हिंदी विभाग की ओर से डॉ अश्विनी शर्मा ने कहा कि ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्ध का कांटा’ और ‘उसने कहा था’ से गुलेरी जी हिंदी कहानी जगत में लोकप्रिय हो गए. पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी ऐसे प्रथम कहानीकार हैं, जिन्होंने हिंदी जगत में पाश्चात्य कहानी कला के आधार पर कहानियां लिखीं. ‘उसने कहा था’ हिंदी की प्रथम कलात्मक कहानी कही जा सकती है. डॉ शर्मा ने कहा कि ‘उसने कहा था’ प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर रचित सफल एवं सक्षम कहानी है.
एक और कार्यक्रम भटेडबासा में भी मनाया गया. गुलेर को पूरे विश्व में एक अलग पहचान दिलाने वाले महान शख्सियत चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती का यह कार्यक्रम भाषा और संस्कृति विभाग के बैनर तले आयोजित हुआ. स्थान था, चंद्रधर शर्मा गुलेरी डिग्री कॉलेज हरिपुर. हिमाचल प्रदेश में अभी विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टियां चल रही हैं, पर इस आयोजन के लिए उन्हें ड्रेस कोड के साथ बुलाया गया था, ताकि वे अपनी माटी में पैदा हुए इस महान रचनाकार के बारे में जान सकें. उद्देश्य था कि छात्रों से पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी के जीवन और लेखन पर प्रकाश भी डलवाया जाए. पर इस कार्यक्रम में हरिपुर कॉलेज के नाम मात्र ही बच्चे उपस्थित रहे. बुद्धिजीवियों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कांगड़ा के एसडीएम नवीन तंवर. भाषा और संस्कृति विभाग तथा कॉलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें स्मृति चिह्न और साल टोपी देकर सम्मानित भी किया गया.