नई दिल्ली: अपने प्रकाशन के 40 वर्ष पूरे करने पर ‘वर्तमान साहित्य’ पत्रिका ने राजधानी में एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें कई नामचीन साहित्यकार जुटे. कार्यक्रम में युवा कथाकार एजाजुल हक़ को कृष्ण प्रताप कथा सम्मान से सम्मानित भी किया गया. इस अवसर पर पत्रिका के संस्थापक संपादक विभूति नारायण राय, वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया, तद्भव के संपादक अखिलेश, पत्रकार उर्मिलेश, प्रियदर्शन मालवीय, संजय श्रीवास्तव, रोहिणी अग्रवाल, मधु बी जोशी ने अपने विचार व्यक्त किए. राय ने बताया कि जब यह पत्रिका निकालने की योजना बनी तो शादी के समय दूल्हे के रूप में उनकी कोट की जेब से जो कुछ पैसे मिले थे, उसी में से निकले 500 रुपए से वर्तमान साहित्य का शुभारंभ हुआ था. इस पत्रिका के पहले अंक में रामविलास शर्मा का एक महत्त्वपूर्ण लेख छपा था. शमशेर की कविता, शेखर जोशी की कहानी के अलावा कथाकार स्वयं प्रकाश की बहुचर्चित कहानी ‘पार्टीशन’ भी प्रकाशित हुई थी. पहले यह पत्रिका केवल ‘वर्तमान’ नाम से निकली थी और साइक्लोस्टाइल पत्रिका थी. लेकिन उसके चार अंक निकलने के बाद यह बंद हो गई. उसके कई साल बाद उसे ‘वर्तमान साहित्य’ नाम से निकाला गया. पत्रिका के पहले कहानी महाविशेषांक का संपादन रवींद्र कालिया ने किया था, जिसमें कृष्णा सोबती की मशहूर कहानी ‘ऐ लड़की’ छपी थी. इस कहानी को लेकर काफी विवाद हुआ था.
राय ने कहा कि इस पत्रिका में हमेशा कोई न कोई विवाद छपता रहा है. जैसे चमन लाल ने केदारनाथ सिंह पर पाश की कविता के नकल का आरोप लगाया, तो राजेन्द्र यादव का विवादास्पद लेख ‘होना सोना एक खूबसूरत दुश्मन के साथ’ भी छपा, जिस पर अश्लीलता के आरोप लगे. शिवमूर्ति और कमलेश्वर का भी विवाद यहां छपा था. पत्रिका के संपादकों में सेरा यात्री, अखिलेश, कुंवरपाल सिंह, डॉक्टर धनंजय आदि रहे. 1994 में नासिरा शर्मा के संपादन में एक महिला लेखन विशेषांक आया, तो भारत भारद्वाज के संपादन में दुर्लभ साहित्य अंक भी आया. डॉक्टर सुधीर कुमार सिंह के संपादन में नवजागरण कालीन स्त्री कविता अंक आया। समारोह की मुख्य अतिथि नमिता सिंह ने कहा कि पत्रिका निकालना एक जन आंदोलन है और एक जुनून का काम भी है. यह केवल वैचारिक आंदोलन ही नहीं बल्कि सामाजिक आंदोलन भी है, जिससे समाज को एक दिशा भी मिलती है. 2004 से 2014 तक पत्रिका की संपादक रही नमिता सिंह ने इस दौरान उत्पन्न चुनौतियों का भी जिक्र किया. स्वागत भाषण डॉ संजय श्रीवास्तव ने किया तो आभार प्रदर्शन ओपी गर्ग ने. कार्यक्रम में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र कंखेरिया, परिकथा के संपादक शंकर, अवधेश श्रीवास्तव, हंस पत्रिका की प्रबंध संपादक रचना यादव, सह संपादक अलका प्रकाश, कथाकार हरीयश राय, विमल कुमार, सतीश जायसवाल, वंदना राग, राजेन्द्र उपाध्याय, रोहिणी अग्रवाल, रजनी गुप्त, कमलेश भट्ट कमल, अरविंद कुमार सिंह, अशोक मिश्र, अणु शक्ति सिंह, सोनम तोमर, गोविंद उपाध्याय, बलराम अग्रवाल, हीरालाल नागर, मीना झा आदि मौजूद थे.