नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना ने द्वितीय ‘युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम’ के समापन अवसर पर राजधानी के वायु सेना सभागार में कैपस्टोन परिचर्चा का आयोजन किया. यह परिचर्चा कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर और सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के तत्वावधान में हुई. इसके पहले सत्र में प्रतिभागियों ने ‘भारत और नई उभरती विश्व व्यवस्था: भारत की क्षेत्रीय और वैश्विक आकांक्षाओं के प्रति भारतीय वायुसेना की भविष्य की भूमिका’ विषय पर अपने पेपर प्रस्तुत किए. इसके बाद दूसरे सत्र में ‘एकीकृत भारतीय महाद्वीपीय और समुद्री दृष्टिकोण के प्रति वायुशक्ति के उपयोग के लाभ’ पर चर्चा हुई. 2022 में शुरू ‘युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम’ 15 सप्ताह की अवधि का एक रणनीतिक शिक्षा कार्यक्रम है और इसका विन्यास प्रतिभागियों को रणनीति की गहन समझ प्रदान करने के लिए किया गया है. मुख्य रूप से इसका उद्देश्य रणनीतिक स्तर पर नीति से प्रेरित विचारों के सृजन के लिए क्रॉस-डोमेन ज्ञान को मिश्रित करने में सक्षम महत्त्वपूर्ण विचारकों को प्रोत्साहन देना है. द्वितीय युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम में आठ अधिकारियों ने रणनीति, सैन्य इतिहास, नागरिक-सैन्य संबंध, उच्च रक्षा संगठन, एयरोस्पेस पावर, सूचना युद्ध, प्रौद्योगिकी और हाइब्रिड युद्ध के क्षेत्र में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया.
इस परिचर्चा में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मुख्य वक्तव्य दिया. उन्होंने कहा कि ‘युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम’ का प्रयास अध्ययन की आदत को बढ़ावा देकर भविष्य के सैन्य नेतृत्वकर्ताओं को सेरेब्रेल डोमेन में तैयार करना है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार हासिल किए गए ज्ञान को उन्हें ‘क्या सोचें’ के बजाय ‘कैसे सोचें’ के प्रश्न की ओर ले जाने वाला होना चाहिए. आसपास के बदलते रणनीतिक वातावरण के कारण यही स्व-अध्ययन भविष्य के नेताओं को रणनीतियां विकसित करने के लिए निरंतर रचनात्मक चिंतन करने के लिए तैयार करेगा. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि मानव पूंजी हमेशा सर्वोच्च रहेगी और इसलिए इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यद्यपि उभरती प्रौद्योगिकियां मानव बुद्धि के साथ सहजीवी बनी रहेंगी, इस प्रकार इन्हें लगातार आत्मसात करने और इनके मुताबिक ढलने की आवश्यकता होगी. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि पिछले साल ‘युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम’ करने वाले अधिकारियों का प्रदर्शन देखकर उन्हें प्रसन्नता हुई. वह इस कार्यक्रम को पूरा करने और उनका अनुसरण करने वाले अधिकारियों के भारतीय वायु सेना में प्रमुख पदों पर आसीन होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वायु सेना प्रमुख ने इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्र अधिकारियों का मार्गदर्शन करने वाले परामर्शदाताओं की भी सराहना की. कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, रक्षा अताशे, एयरोस्पेस पावर स्कॉलर्स, शिक्षाविदों और प्रतिष्ठित रक्षा संवाददाताओं ने शिरकत की.